महेंद्र ढाका: बिजनौर (Bijnor) में गुलदारो का आतंक इस कदर है कि किसान अपने खेतों में काम करने के लिए जाते हैं तो काफी संख्या में एकत्र होकर ढोल नगाड़े बंदूक और लाठी डंडों से लैस होकर खेतों में जाते हैं वहीं किसानों को अब खेतीबाड़ी में काम करने के लिए मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं और किसानों का खेती करना मुश्किल हो रहा है।
Bijnor में मचाया मौत का कहर
बिजनौर (Bijnor) में किसान खेतो पर ढोल नगाडो के साथ जा रहे है। कुछ किसान बंदूको,राईफलो, तबल, बरछी से लैस हो कर अपने खेतो पर ऐसे जाते है, मानो खेती करने नही कहीं जंग लडने जा रहे हो। दरअसल गंन्ना बाहुल्य बिजनौर (Bijnor) जिले में बीते डेढ दो वर्ष से गुलदारो का आतंक फैला हुआ है। बीते डेढ साल में गुलदारो ने डेढ़ सौ से ज्यादा खेतिहर किसान और मजदूरों पर हमला करके 50 से ज्यादा लोगो को मार दिया है।
बिजनौर (Bijnor) में किसानों के हालात इतने बद से बदतर हो चुके हैं कि खेतों पर काम करने के लिए मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं। इतना ही नहीं मजदूर भी खेतो पर काम करने केवल उन्हीं किसानों के यहां जा रहे हैं जो किसान लाइसेंसी राइफल बंदूको के हैं। गन्ना कटाई के समय खेत पर बाकायदा ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं, हल्ला गुल्ला और शोर मचाया जाता है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली में नहीं पहुंच पाई अभी Cold , प्रदूषण बढ़ने से चारों तरफ छाई हुई धुंध…
जिससे कि खेत में यदि कोई कहीं गुलदारो या कोई अन्य जंगली जीव हो तो, ढोल नगाडे शोर शराबे की आवाज सुनकर खेत से बाहर भाग जाए, उसके बाद मजदूर अपने काम पर लग जाते हैं। इस दौरान खेत का मालिक राइफल या बंदूक अथवा फरसा,बरछी-भाले के साथ खेत पर ही पहरा देता है।