संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की 27 जनवरी, 2025 को हुई बैठक में वक्फ बोर्ड (Waqf Board) संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। यह बिल लोकसभा में पहले ही पेश किया जा चुका है, लेकिन अब इसे संशोधित स्वरूप में फिर से सदन में लाया जाएगा। इस बैठक में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को मंजूरी दी गई, जबकि विपक्षी सांसदों के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया। यह निर्णय सत्ता और विपक्ष के बीच स्पष्ट विभाजन को दर्शाता है।
जेपीसी द्वारा स्वीकृत संशोधन
जेपीसी ने सत्ता पक्ष के 14 संशोधन प्रस्तावों को मंजूर किया, जबकि विपक्ष के 44 प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया। स्वीकृत संशोधन वक्फ संपत्ति, वक्फ ट्रिब्यूनल, और वक्फ बोर्ड (Waqf Board) की संरचना से संबंधित थे। इनमें प्रमुख संशोधन निम्नलिखित हैं:
1. वक्फ संपत्ति पर निर्णय लेने का अधिकार
पहले, जिला कलेक्टर यह तय करता था कि कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के अंतर्गत आती है या नहीं। संशोधन के बाद, यह निर्णय अब सरकार द्वारा नामित कलेक्टर या उससे ऊपर के अधिकारी करेंगे। इस कदम का उद्देश्य निर्णय प्रक्रिया को अधिक संगठित और पारदर्शी बनाना है।
2. वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना में बदलाव
वक्फ ट्रिब्यूनल में अब दो के बजाय तीन सदस्य होंगे, जिनमें एक इस्लामिक विद्वान को जोड़ा जाएगा। इससे ट्रिब्यूनल की कार्यक्षमता और विविधता में सुधार होने की उम्मीद है।
3. वक्फ बोर्ड/कौंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्य
वक्फ बोर्ड/कौंसिल में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया गया। पहले बिल में इनकी संख्या अधिकतम दो तक सीमित थी। इस बदलाव से बोर्ड की समावेशिता बढ़ाने की कोशिश की गई है।
4. संपत्ति दान करने के लिए शर्तें
संशोधन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा है, उसे यह प्रमाणित करना होगा कि वह अपनी संपत्ति को वक्फ में दान करने का पात्र है। इसके अतिरिक्त, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संपत्ति विवादित न हो।
विवादास्पद मुद्दे
जेपीसी के संशोधनों में कुछ प्रावधान विवाद का कारण बन सकते हैं। इनमें प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं:
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी: विपक्ष और कुछ संगठनों ने वक्फ बोर्ड (Waqf Board) में गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य उपस्थिति पर आपत्ति जताई है।
- विरोध करने वालों का तर्क है कि वक्फ संपत्ति और उसकी देखरेख का संबंध इस्लामिक परंपराओं से है, और इसमें गैर-मुस्लिमों की भूमिका क्यों होनी चाहिए। हालांकि, सत्ता पक्ष का कहना है कि यह बदलाव वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता और तटस्थता को सुनिश्चित करेगा।
- संपत्ति दान से संबंधित शर्तें: वक्फ संपत्ति में दान को लेकर जो प्रमाणित करने की शर्त जोड़ी गई है, वह भी विवाद का कारण बन सकती है। इस प्रावधान का उद्देश्य धर्मांतरण के बाद संपत्ति को तुरंत वक्फ को दान करने के मामलों को रोकना है। लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।
जेपीसी की बैठक की प्रमुख बातें
जेपीसी की इस बैठक में कुल 31 सदस्यों में से 26 उपस्थित थे। इनमें 16 सदस्य सत्ता पक्ष से और 10 विपक्ष से थे। सत्ता पक्ष के बहुमत के चलते सभी प्रस्ताव आसानी से पास हो गए।
अगली बैठक की योजना
जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी, 2025 को होगी। इस दौरान संशोधन के साथ तैयार की गई बिल की ड्राफ्ट रिपोर्ट सदस्यों को सौंपी जाएगी। सूत्रों के अनुसार, यह ड्राफ्ट रिपोर्ट 500 से अधिक पृष्ठों की होगी।
ड्राफ्ट रिपोर्ट और लोकसभा में पेशकश
माना जा रहा है कि 31 जनवरी, 2025 को शुरू होने वाले बजट सत्र के दौरान यह ड्राफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को सौंपी जाएगी। इसके बाद, नियमों के अनुसार, संशोधन के साथ बिल को नए स्वरूप में सदन में पेश किया जाएगा। वहां इस पर विस्तृत चर्चा होगी और इसके बाद ही इसे पारित करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
वक्फ संशोधन बिल के संभावित प्रभाव
यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
1. निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता
कलेक्टर के बजाय सरकार द्वारा नामित अधिकारी को संपत्ति संबंधी निर्णय देने का अधिकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक संगठित बना सकता है।
2. ट्रिब्यूनल की कार्यक्षमता में सुधार
ट्रिब्यूनल में एक इस्लामिक स्कॉलर को जोड़ने से वक्फ मामलों में धार्मिक विशेषज्ञता बढ़ेगी। इससे न्याय प्रक्रिया को बेहतर बनाने की उम्मीद है।
3. समावेशिता बढ़ाना
गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने से यह सुनिश्चित होगा कि निर्णय प्रक्रिया में विभिन्न दृष्टिकोण शामिल हों।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने जेपीसी के निर्णयों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विपक्ष का कहना है कि उनके द्वारा पेश किए गए 44 संशोधन प्रस्तावों को सिरे से खारिज करना एकतरफा रवैया दर्शाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के संशोधन प्रस्तावों को बिना व्यापक चर्चा के ही पास कर दिया गया।
विपक्ष ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और दान से जुड़े प्रावधान मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन कर सकते हैं। इस बिल के खिलाफ विपक्ष संसद के भीतर और बाहर विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहा है।
भविष्य की दिशा
जेपीसी द्वारा पारित संशोधन वक्फ संपत्ति प्रबंधन और कानून को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने की कोशिश है। हालांकि, इसके कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद जारी रहेगा।
संसद के आगामी बजट सत्र में इस बिल पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसमें विपक्ष की आपत्तियां, जो ड्राफ्ट रिपोर्ट का हिस्सा होंगी, पर भी विचार किया जाएगा। अगर बिल पारित होता है, तो यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठक और उसके निर्णय इस बात को दर्शाते हैं कि सरकार वक्फ प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, विपक्ष और संबंधित संगठनों के विरोध के चलते इसे पारित करने की प्रक्रिया आसान नहीं होगी। आगामी सत्रों में इस बिल पर चर्चा और बहस यह तय करेगी कि यह किस रूप में कानून का हिस्सा बनता है।
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