लखनऊ : हरियाणा के मनोहर लाल की तरह योगी आदित्य नाथ के नीचे से भी मुख्यमंत्री की कुर्सी खींच लिए जाने की UP Politics से बुधवार को बड़ी खबर आई है। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि योगी की कुर्सी कोई खतरा नहीं है, लेकिन पार्टी के संगठन और मंत्रिमंडल में काफी सारे बदलाव देखने को मिल सकते हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के दिल्ली दरबार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हाजिरी के बाद आलाकमान ने संगठनात्मक चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इसका नतीजा आने वाले वक्त में दिखाई देगा।
बता देें कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से हुए भाजपा को हुए नुकसान पर मंथन और पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पद से हटा दिए जाने के कयासों के बाद मंगलवार और बुधवार के दिन बहुत ही अहम रहे। पिछले 24 घंटे में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी रहा। मंगलवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिल्ली पहुंचकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) के साथ करीब 1 घंटा और फिर प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ बैठक की। बुधवार को भूपेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री से भी भेंट की।
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चौधरी ने मोदी को बताई ये बात
सूत्रों की मानें तो लगभग एक घंटे की इस मुलाकात में लोकसभा चुनाव के परिणाम और संगठन की मजबूती को लेकर ही चर्चा हुई है। चौधरी ने मोदी को संगठन के बारे में जानकारी दी। उत्तर प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सरकार सुने और 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कार्यकर्ताओं को किस तरीके का सहयोग चाहिए। हालांकि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बने रहने या नहीं बने रहने का भी कोई जिक्र नहीं हुआ। लिहाजा योगी की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है।
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योगी ने ली कैबिनेट की बैठक
उधर बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अपने आवास पर मंत्रिमंडल के साथ बैठक में विधानसभा उपचुनाव, राज्य के कई हिस्सों में आई बाढ़ पर चर्चा की। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि बीते पखवाड़े में राज्य के 17 जिलों के 700 से अधिक गांवों पर बाढ़ का असर पड़ा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की मानें तो बैठक सिर्फ और सिर्फ आगामी चुनाव पर ही फोकस थी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 30 मंत्रियों की टीम बनाई है, पर सूत्रों की मानें तो इस टीम में दोनों उपमुख्यमंत्रियों के नाम नहीं हैं। योगी ने मंत्रियों को आदेश दिया कि समाजवादी पार्टी के PDA फॉर्मूले को तोड़ने के लिए हर वर्ग के लोगों तक पार्टी कार्यकर्ता पहुंचें।
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