ब्यूरो रिपोर्टः 18 वीं लोकसभा (lok sabha seat ) के गठन को चुनाव का बिगुल बज चुका है। शनिवार को चुनावी कार्यक्रम की घोषणा होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हुई तो एक तरफ प्रशासन हरकत में आ गया, वहीं अब जबकि चुनावी दौर शुरू हुआ है तो नई-पुरानी चर्चाएं और इतिहास-भूगोल पर भी बातें होने लगी हैं। ऐसे में यह एक महत्वपूर्ण तथ्य जिले की राजनीति से जुड़ा है, जिसका जिक्र समीचीन है। यहां से लोकसभा (lok sabha seat ) में नुमाइंदगी करने वाले ज्यादातर चेहरे खास रहे हैं।
lok sabha seat खीरी का बेहद दिलचस्प रहा है इतिहास
चाहे कांग्रेस के सुनहरे दौर में यहां से सांसद रहे स्व. बाल गोविंद वर्मा हों या फिर आज अजय मिश्र टेनी और इनके बीच के भी कई सांसद, सभी राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले चेहरे रहे हैं। खीरी संसदीय सीट के वीआइपी बनने की नींव वर्ष 1962 में तीसरी लोकसभा (lok sabha seat ) के गठन को हुए चुनाव के दौरान ही तब पड़ गई थी, जब यहां से कांग्रेस ने बाल गोविंद वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया।
दरअसल 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव (lok sabha seat ) में ये सीट कांग्रेस ने जीती थी, पर पांच साल बाद दूसरी लोकसभा के गठन को हुए चुनाव में प्रजातांत्रिक सोसलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज कर कांग्रेस से ये सीट छीन ली थी। तब तीसरी लोकसभा के गठन को हुए चुनाव में बाल गोविंद वर्मा ने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि अगले दो चुनाव में भी यहां से सांसद चुने जाने के कारण हैट्रिक लगाई। इमरजेंसी के बाद 1977 हुए चुनाव में बालगोविंद वर्मा हार गए।
पर 1980 में पुन: सांसद चुने गए।चार बार सांसद रहने के कारण उनकी गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती थी। वह केंद्र सरकार में श्रम एवं पुनर्वास और दूरसंचार विभाग के उपमंत्री भी रहे थे। वर्ष 1998, 1999 और 2004 में लगातार तीन बार खीरी से सांसद चुने गए बाल गोविंद वर्मा के पुत्र रवि प्रकाश वर्मा सपा के बड़े नेता रहे हैं।