ब्यूरो रिपोर्टः भाजपा के दबाव के चलते रालोद (RLD) ने हरियाणा का मैदान छोड़ दिया है। रालोद की राजनीति वेस्ट यूपी के किसानों और जाटों पर केंद्रित है वो हरियाणा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर काफी उत्सुक थी। लेकिन फिलहाल पार्टी इस राज्य में अपने लिए सीटों की मांग से पीछे हट गई है। दरअसल इस बीच, रालोद (RLD) की नजर आगे आने वाले विधानसभा चुनावों पर है। पार्टी ने झारखंड और महाराष्ट्र में लड़ने के लिए भाजपा के साथ अपनी चर्चा तेज कर दी है।
बीजेपी व RLD में बनी सहमति
सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक रालोद (RLD) ने हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी मांग छोड़ दी है। यह घटनाक्रम कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में सहयोगियों पर भाजपा की बढ़त को दर्शाता है। रालोद सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेतवर्त वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने से पहले रालोद (RLD) हरियाणा में कम से कम दो सीटों की मांग कर रही थी। जाट और किसानो पर निर्भर मतदाताओं की अच्छी खासी पकड वाले इस राज्य की राजनीति में प्रवेश की रालोद की योजना थी।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने यूपी के आने वाले उपचुनावों में मीरापुर विधानसभा सीट से भी अपना दावा छोड़ने का भी प्रस्ताव रखा है। बता दे कि यह सीट रालोद (RLD) पार्टी विधायक चंदन चौहान के बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई है। भाजपा ने 2019 में हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़कर 36.49 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 40 सीटों पर जीत हासिल की थी।
जानकारों का कहना है कि जयंत चौधरी का अपनी मांग से पीछे हटना प्रमुख चुनावों में रालोद (RLD) जैसे छोटे सहयोगी दलों को लेकर भाजपा की रणनीति को दर्शाता है। इस तरह गठबंधन की संरचना पार्टी के व्याप्क हितों के अनुरूप है। यह लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई राज्यों में अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाकर करने की भाजपा की बड़ी रणनीति का हिस्सा भी लगता है।
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हालांकि हरियाणा विधानसभा चुनाव में रालोद (RLD) जहां अपनी मांग से पीछे हटा है वहीं जम्मू कश्मीर में 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। आरएलडी सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला अपनी चुनावी पहचान को लेकर पार्टी की बड़ी रणनीति का एक का हिस्सा है।