ब्यूरो रिपोर्टः अजमेर (Ajmer) दरगाह में हिंदू शिव मंदिर होने के दावे पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया था। दरअसल, कुछ समय पहले यह विवाद उठे थे कि अजमेर (Ajmer) की प्रसिद्ध ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह में एक हिंदू शिव मंदिर होने का दावा किया गया था। यह दावा कुछ हिंदू संगठनों द्वारा किया गया था, जिसके बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और बयानबाजी शुरू हो गई थीं।
Ajmer दरगाह में शिव मंदिर
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। ओवैसी ने इस दावे को सीधे तौर पर नकारते हुए कहा कि यह कदम केवल समाज में नफरत और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए उठाया जा रहा है। उन्होंने इस मुद्दे को धार्मिक सद्भावना और भाईचारे को नुकसान पहुँचाने वाली कोशिश बताया। ओवैसी का मानना था कि अजमेर (Ajmer) दरगाह एक मुस्लिम धार्मिक स्थल है, जो सदियों से भारतीय मुस्लिम समाज की आस्था का केंद्र रहा है।
ओवैसी का मानना था कि इस तरह के मुद्दों से सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है और यह समाज में विभाजन पैदा करने की साजिश हो सकती है। उन्होंने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की और इसे धार्मिक सुलह और समझदारी का मामला बताया। यह मामला धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है, और इसे लेकर समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं।
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अजमेर (Ajmer) दरगाह के मामले में इस तरह के दावे उठाना, भारतीय समाज में धर्म, संस्कृति और इतिहास से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को सामने लाता है। दरगाह की पहचान एक मुस्लिम धार्मिक स्थल के रूप में की जाती है, जहां ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है। यह जगह न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।