प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिवसेना ने खोला मोर्चा
मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
शामली (दीपक राठी): उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में स्कूलों की मनमानी द्वारा तरह-तरह के शुल्क लेकर अभिभावकों का उत्पीड़न और शासनादेश के अनुरूप वेतन न देकर अध्यापकों का शोषण किए जाने का आरोप लगाते हुए शिवसेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकार से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने की मांग की गई।
फीस वसूली और किताबों के नाम पर शोषण
शिवसेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि:
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पिछले कई वर्षों से प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से भारी-भरकम फीस वसूल रहे हैं।
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पब्लिकेशन कंपनियां 60% कमीशन पर महंगी किताबें बेच रही हैं।
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बच्चों का एडमिशन होते ही अभिभावकों को एक निश्चित दुकान से कोर्स और ड्रेस खरीदने को बाध्य किया जाता है।
हर क्लास में दोबारा एडमिशन फीस वसूली का आरोप
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एक ही स्कूल में दूसरी कक्षा में प्रोन्नत होने पर भी दोबारा एडमिशन फीस ली जाती है।
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स्कूलों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण कर दिया है और शिक्षा के नाम पर खुली लूट मचा रखी है।
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शासन-प्रशासन की अनदेखी के कारण यह धांधली लंबे समय से जारी है।

शिक्षकों का भी हो रहा शोषण
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शिक्षकों की वेतन रसीदों में ₹18,000-₹20,000 दर्शाया जाता है।
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जबकि उन्हें केवल ₹5,000-₹7,000 ही वेतन दिया जाता है।
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यह दोहरा मापदंड पूरी शिक्षा प्रणाली को शर्मसार करता है।
शिवसेना की मुख्य मांगें
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सभी प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम अनिवार्य किया जाए।
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पाठ्यक्रम को एक समान किया जाए।
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अभिभावकों को खुली बाजार से कोर्स और ड्रेस खरीदने की स्वतंत्रता दी जाए।
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हर क्लास में एडमिशन फीस की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए।
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सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारकर आधुनिक शिक्षा प्रणाली लाई जाए।
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प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को शासनादेश के अनुरूप वेतन दिया जाए।