Shamli District’s Sports: शामली के खिलाड़ियों का सपना: क्या 13 साल बाद मिलेगा स्टेडियम

Shamli District's Sports

13 साल पहले बना शामली जिला, आज तक खिलाड़ियों को नहीं मिल पाया स्टेडियम

Shamli District’s Sports: स्पोर्ट्स 13 साल पहले, 28 सितंबर 2011 को शामली जिला बना था, और तभी से यहां के खिलाड़ियों की एक बड़ी ख्वाहिश है – एक ऐसा स्टेडियम जहां वे अपनी खेल प्रतिभाओं को निखार सकें। लेकिन, अफसोस कि आज तक इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। पिछले 10 सालों तक ना तो जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान दिया और ना ही अधिकारियों ने इसे प्राथमिकता दी। हालांकि, तीन साल पहले स्टेडियम की नींव रखने का प्रयास हुआ था, और इसके लिए बजट भी स्वीकृत हो गया था।

स्टेडियम के लिए भूमि चिन्हित, लेकिन बजट वापस हुआ

Shamli District’s Sports:शामली के खिलाड़ियों को उम्मीद थी कि अब वे घर के पास ही अभ्यास कर सकेंगे और जिले में ही अपने सपनों को साकार कर सकेंगे। तीन साल पहले, भैंसवाल गांव में 4.51 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई थी और इस परियोजना के लिए यूपीपीसीएल को कार्यदायी संस्था नियुक्त किया गया था। योजना के मुताबिक, बजट की पहली किस्त के तौर पर दो करोड़ रुपये भी जारी कर दिए गए थे। लेकिन जब खेल विभाग के पास भूमि हस्तांतरित नहीं हो पाई, तो यह बजट वापस कर दिया गया। अब, खेल विभाग के पास भूमि उपलब्ध है, लेकिन बजट का इंतजार किया जा रहा है।

13 सालों से खिलाड़ियों को क्यों नहीं मिल पाया स्टेडियम?

Shamli District’s Sports:शामली जिले में खेल स्टेडियम की जरूरत दिन-ब-दिन बढ़ रही है। यहां के खिलाड़ी मजबूरी में मुजफ्फरनगर, मेरठ, दिल्ली, देहरादून, और हरियाणा जैसे अन्य शहरों में जाकर अभ्यास करते हैं। यह स्थिति खिलाड़ियों के लिए बेहद निराशाजनक है। इसके बावजूद, वे निरंतर स्टेडियम की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक केवल मायूसी ही मिली है।

 भैंसवाल गांव में भूमि चिन्हित, लेकिन निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका

भैंसवाल गांव में भूमि चिन्हित होने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। स्टेडियम का डिजाइन तैयार किया गया था, और शासन से इसकी तकनीकी स्वीकृति भी मिल चुकी थी। इसके बाद निर्माण एजेंसी ने टेंडर भी छोड़ दिया था। हालांकि, भूमि का राजस्व विभाग से खेल विभाग में हस्तांतरण नहीं हो पाया और इसी वजह से निर्माण कार्य रुक गया। इसके बाद, खेल विभाग ने दो करोड़ रुपये की राशि वापस मांगी, क्योंकि भूमि का हस्तांतरण पूरा नहीं हो सका था। अब खेल विभाग ने नया प्रोजेक्ट तैयार किया है, और इस बार बजट की अवमुक्ति की उम्मीद जताई जा रही है।

शामली जिला खेल स्टेडियम का सपना
शामली जिला के खिलाड़ी स्टेडियम का इंतजार कर रहे हैं

बजट का इंतजार, कब मिलेगा निर्माण का हरी झंडी?

शामली जिले के खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम का निर्माण अब एक बड़ी आवश्यकता बन चुका है। इस परियोजना के लिए 46 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट था, लेकिन अब लागत बढ़कर 50 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। इस नए प्रोजेक्ट के हिसाब से ही अब फिर से बजट की मांग की जाएगी। जब भी बजट की स्वीकृति मिल जाएगी, तब ही निर्माण कार्य शुरू होगा।

 खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं, बस सुविधाओं की जरूरत है

Shamli District’s Sports:शामली जिले में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। यहां के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का लोहा मना चुके हैं। मगर, सुविधाओं के अभाव में उन्हें अपनी ट्रेनिंग के लिए अन्य शहरों का रुख करना पड़ा।

  • क्रिकेट में लपराना निवासी प्रवीण कुमार ने जिले का नाम बुलंद किया।
  • शूटिंग में अंतरराष्ट्रीय शूटर अनवर सुल्तान को अर्जुन अवार्ड मिला हुआ है।
  • कांधला के गांव डांगरोल निवासी अनिल चौधरी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट अंपायर हैं।
  • इसके अलावा, कई एथलीट्स ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक भी जीते हैं।

लेकिन जब तक जिले में स्टेडियम की सुविधा नहीं होगी, तब तक इन प्रतिभाओं को अपनी पूरी क्षमता साबित करने का मौका नहीं मिलेगा।

 खिलाड़ियों का सपना – एक समर्पित स्टेडियम

शामली के खिलाड़ियों का सपना है कि उन्हें अपने ही जिले में एक ऐसा स्टेडियम मिले, जहां वे प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें और अपने खेल में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें। जब तक यह सपना साकार नहीं होगा, तब तक इन खिलाड़ियों को अन्य शहरों का रुख करना पड़ेगा, जो उनके लिए समय, पैसा, और मेहनत का बड़ा खर्च साबित होता है।

यह स्पष्ट है कि शामली जिले में खेल स्टेडियम की आवश्यकता अब एक अत्यंत जरूरी कदम बन चुकी है। अगर सही तरीके से कदम उठाए जाएं और अधिकारियों की सक्रियता बढ़े, तो जिले के खिलाड़ी अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं। जिले में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें एक समर्पित और आधुनिक स्टेडियम की जरूरत है, ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन कर सकें।

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