ब्यूरो रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) (RO-ARO) परीक्षा में पेपर लीक के प्रकरण में सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। आयोग के सचिव अशोक कुमार की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रथम प्रश्न पत्र सामान्य अध्ययन के 103 और द्वितीय प्रश्न पत्र सामान्य हिंदी के 25 प्रश्नों के परीक्षा शुरू होने से पहले ही लीक होने के प्रणाम मिले हैं।
अभ्यर्थियों के प्रत्यावेदन में इसके प्रमाण भी मिले हैं। प्रारंभिक जांच के बाद आयोग की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। शासन की ओर से समीक्षा अधिकारी (RO-ARO) (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) (RO-ARO) प्रारंभिक परीक्षा-2023 को निरस्त किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के इतिहास की सबसे बड़ी परीक्षा पर पेपर लीक का दाग लग गया है।
RO-ARO पेपर लीक प्रकरण मामला
आरओ/एआरओ के 411 पदों के लिए 1076004 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। परीक्षा के लिए प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्र बनाए गए थे। 11 फरवरी को हुई परीक्षा में 64 फीसदी अभ्यर्थी शामिल हुए थे। आयोग की किसी भी परीक्षा के लिए पहली बार इतनी अधिक संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे और पहली बार किसी परीक्षा के लिए सबसे ज्यादा केंद्र भी बनाए गए थे। हालांकि, आयोग ने परीक्षा में गड़बड़ी रोकने के लिए इस बार कई नए कदम उठाए थे।
पहली बार परीक्षा केंद्रों में 50 फीसदी से अधिक बाहरी कक्ष निरीक्षक तैनात किए गए थे। आयोग ने तो शासन को यह प्रस्ताव भी भेजा था कि राजस्थान की तर्ज पर यहां भी परीक्षा के दौरान इंटरनेट सेवा बंद कर दी जाएं, लेकिन इससे आम लोगों को होने वाली दिक्कत के मद्देनजर शासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। आयोग की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया, जब परीक्षा से डेढ-दो घंटे पहले पेपर व्हाट्सएप पर वायरल हो गया।
इससे पहले आरओ/एआरओ (RO-ARO) प्रारंभिक परीक्षा-2016 में भी पेपर लीक का मामला सामने आया था। इस मामले की सीबीसीआईडी जांच कराई गई थी और एजेंसी ने इसे क्लीन चिट दे दी थी। बाद में मामला कोर्ट में चला गया। बाद में आयोग ने परीक्षा ही निरस्त कर दी। आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा दोबारा कराई। अब यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।