ब्यूरो रिपोर्ट: भाकियू के राष्ट्रीय प्रक्वता राकेश टिकैत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश अंतरिम बजट ( Interim Budget ) पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया। नई संसद में पुराने ढर्रे पर पेश अन्तरिम बजट ( Interim Budget ) केवल चुनावी ढ़कोसला है, यह देश के किसान, आदिवासी, गरीब, महिला और युवाओं के साथ धोखा है भारतीय किसान यूनियन इस बजट को सिरे से नाकारती है- रोकेश टिकैत।
देश की सरकार ने नई संसद में अपना पहला अन्तरिम बजट ( Interim Budget ) पेश किया जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने क्रमवार योजनाओं सहित ब्यौरा दिया। जिसमें उन्होंने यह बजट ( Interim Budget ) महिला, गरीब, युवा, किसान के हितों के लिए पेश किया। सरकार द्वारा कहा गया कि देश की मंडियों को ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) से जोड़ा जा रहा है। यह योजना राष्ट्रीय बाजार को स्थापित करने के नाम पर चलायी जा रही है। जिससे किसान देश के किसी भी कोने में बैठे व्यापारी को अपनी फसल बेच सके।
Interim Budget किसानों, आदिवासियों, गरीबों युवाओं और महिलाओं साथ धोखा..
भारत-सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने के नाम पर (राष्ट्रीय कृषि बाजार) ई- नाम जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूर्व में भी देश की डिफाल्टर कम्पनी नागार्जुन फर्टिलाईजर्स एण्ड-कैमिकल्स लिमिटेड को दिया, जो कि 1500 करोड़ रूपये न चुका पाने के कारण दिवालिया घोषित कर दी गयी। इस योजना से अगर ऐसी डिफाल्टर कम्पनियां और कॉरपोरेट कम्पनियां फसल खरीद के नाम पर जुडेंगी तो इसका सीधा नुकसान देश के किसानों को होगा। इस योजना में हुई धांधली के बारे में अवगत कराने के लिए देश के पूर्व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर जानकारी दी।
वित्त मंत्री जी ने कहा कि चार करोड़ किसानों को फसल बीमा योजना व 11.8 करोड किसानों को पीएम सम्मान- निधियोजना का लाभ मिल रहा है, जबकि धरातल पर यह दोनों योजनाएं पूर्ण तरीके से गायब हैं। देश में बेमौसम हुई बरसात व ओलावृष्टि से देश के बहुत से राज्य चपेट में आए। प्रशासन ने जिलास्तर व तहसीलस्तर पर सर्वे तो कराए लेकिन किसानों को उसका लाभ नहीं मिला। पीएम सम्मान निधि में 500 रूपये प्रतिमाह दी जाने वाली धनराशि देश के सबसे मजबूत स्तम्भ और देश के आय के स्रोत कृषक का भला नहीं कर सकती है। यह सिर्फ आंकड़ों में नजर आती है।
इस बजट ( Interim Budget ) में डीजल-पेट्रोल के दामों में कोई कटौती नहीं है। और महंगाई कम करने की कोई बात नहीं है, महिला, आदिवासी, गरीब, युवा, किसान सिर्फ कागजों पर नजर आता है। नई संसद में पुराने ढर्रें पर पेश अन्तरिम बजट केवल चुनावी ढ़कोसला है। यह देश के किसान, युवा, गरीब, आदिवासी के साथ धोखा है।