Prayagraj– इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रशासनिक पक्ष के एक सहायक रजिस्ट्रार (द्वितीय अपील) और एक समीक्षा अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने पाया कि इन अधिकारियों ने न्यायालय की अनुमति या किसी आवेदन के बिना अपनी ‘विवेक’ का उपयोग करते हुए द्वितीय अपील को प्रथम अपील में परिवर्तित कर दिया।
न्यायालय का कृत्य पर गहरी आपत्ति
न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने इस कृत्य पर गंभीर आपत्ति जताई और इसे न्यायालय की न्यायिक शक्तियों का उल्लंघन बताया। न्यायालय ने 19 नवंबर 2024 की रिपोर्ट का संज्ञान लिया और कहा कि इस तरह का कार्य न केवल न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास भी है।
Prayagraj- अदालत का निर्देश
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि न्यायालय की अनुमति के बिना किसी कार्यवाही को दूसरी कार्यवाही में बदलना स्वीकृत नहीं किया जाएगा और इसे न्यायिक शक्तियों की अवमानना माना जाएगा।
सख्त संदेश: उच्च न्यायालय की प्रक्रिया और आदेशों का सम्मान
यह आदेश उच्च न्यायालय की प्रक्रियाओं और आदेशों के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त संदेश है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, और न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नियमों के पालन को सख्ती से लागू किया जाए।