ब्यूरो रिपोर्टः रोशनी का त्यौहार दीपावली अब नजदीक है, ऐसे में मिट्टी के दिए जलाकर हर घर को रोशन किया जाता है, और श्री लक्ष्मी- गणेश के पूजन के साथ घर में सुख शांति और समृद्धि की कामना की जाती है। वही इस धंधे से जुड़े हुए कुम्हार कारीगरों ने बताया कि बाजारों में भले ही चाइनीस दीयों की मांग हो लेकिन मिट्टी के दीयों की अपनी खास पहचान है। बाजार में मिट्टी के दीयों की मांग बड़ी है, और रोजाना हजारों की संख्या में दीयों को तैयार किया जाता है। लेकिन मिट्टी कम मिलने से बहुत समस्या आ रही है, और दीयों की मांग काफी बढ़ रही है।
दीपावली आगामी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस अवसर पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। वहीं कुम्हार भी तेजी से दीये बनाने में जुट हुए हैं। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं। वहीं पारंपरिक दीयों की खरीदारी अधिक हो रही है। चाइनीज दीयों से मोहभंग के चलते मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है, वहीं सोशल मीडिया पर ऐसे दीयों की खरीदारी पर जोर देने के कारण भी इसका खासा प्रभाव पड़ रहा है।
मिट्टी के दीपक बनाने का काम तेजी से चल रहा है। दीपावली में इस मर्तबा दीपकों की डिमांड भी बढ़ रही है। कुम्हारों के कच्ची मिट्टी के पक्के दीयों को खरीदने के लिए युवाओं में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। धन की देवी माता लक्ष्मी व गणेश का स्वागत करने के लिए दीयों के साथ-साथ कलश का भी ऑर्डर लोग देने लगे हैं। ओम व स्वास्तिक लिखा रंगीन कलश अधिक पसंद किया जा रहा है। प्राचीन संस्कृति के लिहाज से मिट्टी के दीपकों का ही दीपावली में महत्व होता है।