ब्यूरो रिपोर्ट: हमीरपुर जिले की मौदहा तहसील में तैनात नायब तहसीलदार (naib tehsildar) आशीष गुप्ता का धर्मांतरण करा निकाह कराने के मामले में नया खुलासा हुआ है। नायब तहसीलदार ने तीन नौकरियां छोड़ी थी, फिर भी उसने छह साल में करोड़ों की संपत्ति बना ली। आशीष के पिता ठेला लगाकर मिठाई बेचते हैं।
नायब तहसीलदार (naib tehsildar) दूसरी शादी के फेर में फंस गए। अब कार्रवाई की तलवार भी लटक गई है। नायब तहसीलदार के खिलाफ विभागीय जांच कर कार्रवाई की संस्तुति कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। उन्हें कलक्ट्रेट से संबद्ध कर दिया गया है। आशीष गुप्ता को मौदहा तहसील से हटाकर खन्ना क्षेत्र का चार्ज मुस्करा क्षेत्र के नायब तहसीलदार सत्यप्रकाश वर्मा को दिया गया है।
naib tehsildar, तीन सरकारी नौकरियां छोड़ीं
आपको बता दें कि नायब तहसीलदार (naib tehsildar) आशीष गुप्ता का यूसुफ बनकर मस्जिद में नमाज पढ़ने का फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। साथ ही मुस्लिम युवती से निकाह करने की बात सामने आई थी। जिसके बाद पूरा मामला खुला।
आशीष के पिता राजाबेटा गुप्ता नौबस्ता के हनुमानगढ़ी मंदिर के बाहर ठेले पर मिठाई बेचते हैं। राजा बेटा गुप्ता के परिवार में पत्नी उमा देवी, दो बेटे आशीष और अंशज उर्फ प्रिंस हैं। मोहल्ले के लोगों के मुताबिक, आशीष की पहली नौकरी फील्ड गन फैक्टरी में लगी थी। इसके बाद कानपुर देहात के अकबरपुर पुखरायां में लेखपाल के पद पर तैनात हुआ, फिर काननूगो बना।
फिर मौदहा में नायब तहसीलदार की नौकरी मिली थी। अशीष की पत्नी आरती ने जो एफआईआर हमीरपुर की कोतवाली थाने में दर्ज कराई है। उसमें अपना पता 14 एच, हनुमंत विहार लिखा है, जबकि सही पता 791/29 नारायणपुरी नौबस्ता है।
नौबस्ता के नारायणपुरी में रहने वाला आशीष गुप्ता तीन सरकारी नौकरियां छोड़ने के बाद नायब तहसीलदार बना। उसने पहली शादी रिश्ते में बहन लगने वाली आरती गुप्ता से की थी। दोनों का प्रेम-विवाह हुआ था। उसके बाद आशीष का हमीरपुर के मौदहा में मदद मांगने वाली गैर समुदाय की महिला से प्रेम प्रसंग हो गया।
छह साल में बनाई करोड़ों की संपत्ति
नायब तहसीलदार(naib tehsildar) आशीष गुप्ता के पिता के परिचितों ने बताया कि उसने छह साल में करोड़ों की संपत्ति बना ली है। वर्तमान में शहर में उसके 10 से अधिक प्लाट, मकान व फ्लैट हैं। अकबरपुर में भी उसकी संपत्ति है। वहां गेस्ट हाउस बनाने वाला था। वहीं पड़ोसी दुकानदारों का कहना था राजाबाबू मिठाई का ठेला बस दिखावे के लिए लगाते थे। जरूरतमंद लोगों के प्लाट व मकान कम दामों पर खरीद लेते थे।