Muzaffarnagar में महिला को पति ने पहले तीन तलाक दिया, फिर हलाला और अब फोन पर तीन तलाक दे दिया! जानें इस दर्दनाक मामले की पूरी कहानी।”
उत्तर प्रदेश के Muzaffarnagar जनपद के एक सनसनीखेज मामले में एक महिला को उसके पति ने पहले तीन तलाक दिया, फिर हलाला कराकर पुनः शादी की और अब फिर से फोन पर तीन तलाक दे दिया। इस घटना से जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं और पुलिस इस मामले में जांच शुरू कर चुकी है। यह मामला Muzaffarnagar के चरथावल थाना क्षेत्र के हसनपुर लुहारी गांव की नगमा नाम की महिला से जुड़ा हुआ है।
तीन तलाक और हलाला का विवाद: क्या हो रहा है मुजफ्फरनगर में?
पीड़िता नगमा का आरोप है कि उसके पति अबरार ने शादी के बाद से उसे दहेज की मांग को लेकर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। एक साल पहले अबरार ने उसे फोन पर तीन तलाक दे दिया, जिसके बाद दोनों परिवारों के बीच समझौता हुआ और नगमा का हलाला उसके देवर से कराकर फिर से उसका निकाह अबरार से कर दिया गया।
हालांकि, यह सब होने के बाद भी अबरार का व्यवहार सुधरा नहीं। वह लगातार नगमा के साथ मारपीट करता और उसे घर से बाहर निकाल देता था। एक महीना पहले भी उसे घर से निकाल दिया गया था, और वह अपनी बहन के घर रह रही थी।
फोन पर फिर से तीन तलाक: क्या अब भी कोई कानून है असरदार?
नगमा का कहना है कि दो दिन पहले उसके पति अबरार ने उसे फोन किया और स्पीकर पर बात करते हुए तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कहकर उसे तलाक दे दिया। नगमा इस बार न्याय की मांग कर रही है और कह रही है कि उसके साथ हुए इस अन्याय को अब और सहन नहीं किया जा सकता।

शारीरिक हिंसा और तीन तलाक का दुष्चक्र
नगमा ने बताया कि एक बार मारपीट के दौरान उसके हाथ में चाकू लग गया था, जिससे सेप्टिक फैल गया था और बाद में डॉक्टर को हाथ काटने की सलाह देनी पड़ी। नगमा ने कहा कि उसके पति का हिंसक व्यवहार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और अब वह अपने बच्चों को बचाने की उम्मीद करती है।
Muzaffarnagar पुलिस ने शुरू की जांच, क्या मिलेगा न्याय?
इस घटना के बाद पीड़िता नगमा ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की है। चरथावल थाना अध्यक्ष आईपीएस राजेश धुनावत ने बताया कि इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है और इस केस में तीन तलाक के खिलाफ बनाए गए कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। Muzaffarnagar पुलिस इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगी।
Muzaffarnagar के इस सनसनीखेज मामले ने एक बार फिर से तीन तलाक और हलाला के मुद्दे को समाज और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना दिया है। यह घटना न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कानूनों की अहमियत को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कई बार कानून बनने के बावजूद उन पर सख्ती से अमल नहीं होता।
पीड़िता नगमा का संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि महिलाओं को अपने हक और सम्मान की लड़ाई निरंतर लड़नी पड़ती है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और न्याय की उम्मीद, पीड़ित महिला को राहत दे सकती है। तीन तलाक जैसे मुद्दे पर समाज और कानून को और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय मिले और उनका सम्मान सुरक्षित रहे।