हरेंद्र मलिक बायोग्राफी: 2024 में BJP को हराने वाले किसान!

हरेंद्र मलिक की जीवनी हिंदी में

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हरेंद्र मलिक बायोग्राफी: मुजफ्फरनगर की सियासत से लोकसभा तक का सफर, SP का बड़ा चेहरा

हरेंद्र मलिक का सियासी सफर, संजय गांधी से अखिलेश यादव तक

हरेंद्र मलिक, पश्चिम उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख किसान नेता और अनुभवी राजनीतिज्ञ, ने अपने 50 वर्षों के लंबे राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण मोड़ देखे हैं। वे एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और समाजवादी विचारधारा के सशक्त स्तंभ माने जाते हैं। यहाँ उनके जीवन और करियर का विस्तार से वर्णन किया गया है।

हरेंद्र मलिक की राजनीतिक यात्रा के प्रमुख मोड़:-

हरेंद्र मलिक कौन हैं?

हरेंद्र मलिक की राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मोड़ शामिल हैं, जो उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित करते हैं। उनके करियर के कुछ प्रमुख मोड़ निम्नलिखित हैं:

उनकी यात्रा कांग्रेस, 1978 में संजय गांधी के नेतृत्व वाले युवा कांग्रेस(NSUI) से शुरू होकर, 1982 में चौधरी चरण सिंह के जुड़ाव मैं 1985 में पहली बार खतौली से MLA बने और लगातार 4 बार जीत दर्ज की, 2002 में अजीत सिंह की पार्टी INLD से जुड़े, इसके बाद, 2007 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी में वापसी की और बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

2022 हरेंद्र मलिक ने लगभग 20 साल बाद सपा में वापसी की है, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पुनर्वास है। उनकी वापसी से सपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक मजबूत किसान नेता मिला है, जो पार्टी की स्थिति को मजबूत करता है में SP में शामिल होकर लोकसभा चुनाव जीता।

Sorce:

Harendra Malik Biography in Hindi:-

विवरणजानकारी
पूरा नामहरेंद्र सिंह मलिक
राजनीतिक दलसमाजवादी पार्टी (SP)
वर्तमान पद (2024)सांसद, मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र
लोकसभा क्षेत्रमुजफ्फरनगर
जन्म तिथि15 फरवरी 1954
उम्र69 वर्ष
शिक्षाग्रेजुएट
आपराधिक मामलेहाँ (1 मामला दर्ज)
कुल संपत्ति₹9.1 करोड़ ((Liabilities - ₹11.3 लाख)
धर्म (जाति)हिन्दू (जाट)
पत्नी का नामश्रीमती राजकुमारी
बच्चेपंकज मलिक (बेटा, विधायक), 1 बेटी
पूर्व राजनीतिक दलकांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD)
राजनीतिक करियर की शुरुआत1978, संजय गांधी के नेतृत्व में NSUI से
पहली गिरफ्तारी1 मई 1978, मजदूर दिवस रैली के दौरान
विधायक (खतौली)1985, 1989, 1991, 1993 (चार बार)
राज्यसभा कार्यकाल2002 - 2008 (INLD के टिकट पर)
2024 चुनाव में जीतभाजपा के संजीव बालियान को हराया

राजनीतिक अनुभव और संसदीय पदों की लंबी सूची-

1. राजनीतिक करियर की शुरुआत

  • 1978: हरेंद्र मलिक ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत संजय गांधी के नेतृत्व में की। वे एनएसआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के माध्यम से सक्रिय राजनीति में आए

  • 1 मई 1978: मजदूर दिवस पर आयोजित एक रैली में भाग लेने के कारण उन्हें तिहाड़ जेल में बंद किया गया। यह उनकी पहली गिरफ्तारी थी।

  • दिसंबर 1978: उन्होंने जिला जेल में 13 दिन गुजारे, जब उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष थी।

2. चौधरी चरण सिंह के साथ जुड़ाव

  • 1982: कांग्रेस से अलग होने के बाद, हरेंद्र मलिक चौधरी चरण सिंह के संपर्क में आए। चरण सिंह ने उन्हें खतौली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का निर्देश दिया।

  • 1985: चौधरी चरण सिंह के आशीर्वाद से हरेंद्र मलिक ने खतौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव जीता।

3. विधायक और राज्यसभा सांसद

  • चार बार विधायक: 1985, 1989, 1991, और 1993 में वे खतौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए।

  • राज्यसभा सांसद: 2002 से 2008 तक वे इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के टिकट पर राज्यसभा सांसद रहे।

4. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का सफर

  • कांग्रेस में वापसी: INLD छोड़ने के बाद उन्होंने कांग्रेस जॉइन की। यहाँ उन्होंने पश्चिम उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने का प्रयास किया।

  • समाजवादी पार्टी में शामिल होना: 2022 में उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन की। अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाया और उनका नेतृत्व स्वीकार किया।

5. 2024 लोकसभा चुनाव

  • हरेंद्र मलिक ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को हराया।

  • यह जीत समाजवादी पार्टी और उनके व्यक्तिगत राजनीतिक प्रभाव को दर्शाती है।

हरेंद्र सिंह मलिक और किसान राजनीति का संघर्ष और प्रभाव

हरेंद्र सिंह मलिक का नाम उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने हमेशा किसानों के हक और उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी है। वे पश्चिम उत्तर प्रदेश, खासकर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और मेरठ मंडल में किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

2020-21 के किसान आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बनाया। खासकर, जब भी कृषि कानूनों या किसानों के अधिकारों पर संकट आया, उन्होंने मजबूती से सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और किसानों के लिए संघर्ष किया।

पश्चिम उत्तर प्रदेश जाट राजनीति में दबदबा: क्यों हैं मलिक ‘खाप पंचायतों’ के चहेते?

हरेंद्र मलिक की सपा में शामिल होने से जाट समुदाय का समर्थन भी बढ़ा है। मलिक ने जाट समुदाय के बीच शिक्षा, रोजगार और कृषि ऋण जैसे मुद्दों को उठाकर अपनी छवि बनाई। मुजफ्फरनगर दंगों (2013) के दौरान उन्होंने शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभाई।

2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को हराकर यह साबित कर दिया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में उनकी राजनीतिक पकड़ कितनी मजबूत है।

मुजफ्फरनगर दंगों पर हरेंद्र मलिक का दृष्टिकोण

मुजफ्फरनगर दंगों पर हरेंद्र मलिक का कहना है कि 2013 के दंगे भाजपा के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा थे, जिससे उसे फायदा हुआ। समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए उन्होंने भाजपा के संजीव बालियान को हराकर इसे सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ जनादेश बताया।

समाजवादी पार्टी में अहम भूमिका, अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में शुमार

हरेंद्र सिंह मलिक को समाजवादी पार्टी में एक मजबूत रणनीतिकार माना जाता है। पार्टी में उनकी स्थिति कितनी मजबूत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। पार्टी की पश्चिम यूपी की राजनीति को लेकर उनकी रणनीतियां हमेशा कामयाब रही हैं।

हरेंद्र मलिक की सपा में शामिल होने के बाद क्या बदलाव कांग्रेस में देखे गए हैं

हरेंद्र मलिक के सपा में शामिल होने से कांग्रेस पार्टी में उनकी कमी महसूस की गई है। मलिक एक प्रमुख जाट नेता थे, और उनकी विदाई से कांग्रेस को पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण नेता खोना पड़ा है, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है।

पारिवारिक राजनीतिक विरासत: बेटे पंकज मलिक का भी मजबूत राजनीतिक कद

हरेंद्र सिंह मलिक का राजनीतिक प्रभाव सिर्फ उन्हीं तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके परिवार ने भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बनाई है।

हरेंद्र मलिक के बेटे पंकज मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2004 में बघरा उपचुनाव से की थी, जहां उन्हें राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार परमजीत सिंह मलिक ने 3701 वोटों से हराया था। इसके बाद उन्होंने 2007 से 2017 तक लगातार दो बार विधायक के रूप में सेवा दी। 15वीं विधानसभा में उन्होंने बघरा (विधानसभा क्षेत्र) और 16वीं विधानसभा में शामली (विधानसभा क्षेत्र) का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में मलिक समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं और चरथावल (विधानसभा क्षेत्र) से विधायक हैं। उनके राजनीतिक सफर में क्षेत्रीय विकास और जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी गई है।

हरेंद्र मलिक की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं:-

  1. जातीय जनगणना की मांग – समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने का दावा।
  2. पश्चिम यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग – क्षेत्रीय पहचान और विकास की रणनीति।
  3. मुख्यमंत्री पद की दावेदारी – पश्चिम यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश।
  4. जाट समुदाय का समर्थन – किसान नेता की छवि को और मजबूत करना।
  5. सपा की स्थिति मजबूत करना – पार्टी को पश्चिम यूपी में बढ़त दिलाने की रणनीति।
  6. सामाजिक न्याय और समानता – वंचित वर्गों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रयास।
  7. राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना – भाजपा-कांग्रेस को चुनौती देकर मतदाताओं को नए विकल्प देना।
  8. प्रशासनिक सुधार पर फोकस – सरकारी कार्यप्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाने का वादा।
  9. संभावित विरोध का सामना – अन्य दलों से टकराव और राजनीति में नई उठा-पटक की संभावना।
Harendra Malik Biography in Hindi: हरेंद्र मलिक की जीवनी हिंदी में
Harendra Malik Caste and Background

निष्कर्ष: किसान राजनीति के बेताज बादशाह

उनकी सफलता का रहस्य है किसानों से सीधा जुड़ाव, जातीय समीकरणों की समझ और समाजवादी विचारधारा पर अटूट विश्वास। 2024 की जीत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख किसान नेता के रूप में स्थापित किया है।

उनकी पकड़ किसानों, समाजवादी विचारधारा और जाट राजनीति में बेहद मजबूत है, जो उन्हें एक सम्मानित और ताकतवर नेता बनाती है।

अगर पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति और किसान आंदोलनों की बात की जाए, तो हरेंद्र सिंह मलिक का नाम सबसे पहले लिया जाता है। उनकी भूमिका आने वाले वर्षों में भी बेहद महत्वपूर्ण बनी रहेगी।

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