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Meerut-Hapur LokSabha: Assembly की एक सीट ही पलट देती है पूरी बाजी, जानिए रिपोर्ट…

Meerut-Hapur LokSabha: Assembly की एक सीट ही पलट देती है पूरी बाजी, जानिए रिपोर्ट...

ब्यूरो रिपोर्ट: 2019 के चुनाव में इस सीट को छोड़ दिया जाए तो भाजपा एक लाख से ज्यादा वोटों से पीछे थी, लेकिन अकेले कैंट की सीट ने भाजपा के लिए बाजी ही पलट दी। इस विधानसभा (Assembly) क्षेत्र ने न सिर्फ भाजपा और बसपा के बीच के वोटों के अंतर को खत्म किया, बल्कि 4729 वोटों से जीत दिलाने मे भी कामयाबी दिलाई। हाजी मोहम्मद याकूब ने पांच में से चार विधानसभा (Assembly) सीटों पर अच्छी खासी बढ़त बनाई थी। सिर्फ कैंट में पिछड़े और इतना पिछड़े की उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

Meerut-Hapur LokSabha: Assembly की एक सीट ही पलट देती है पूरी बाजी, जानिए रिपोर्ट...

2014 के चुनाव में भाजपा ने हर विधानसभा (Assembly) सीट पर अच्छी खासी बढ़त बनाई थी और 2 लाख 32 हजार वोटों से जीत का परचम लहराया था। इस चुनाव में भाजपा से राजेंद्र अग्रवाल, बसपा से शाहिद अखलाक और सपा की ओर से शाहिद मंजूर मैदान में थे। ध्रुवीकरण के आधार पर हुए इस चुनाव में भाजपा ने तो एकतरफा वोट हासिल किया, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के बीच शाहिद मंजूर और शाहिद अखलाक को वोट लगभग बराबर के बंटे।

Assembly की एक सीट ही पलट देती है बाजी

यही वजह थी कि भाजपा ने सवा दो लाख से भी अधिक वोटों के अंतर से यहां फतह हासिल की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय था। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रदेश में बसपा की। सपा अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही थी। भाजपा ने राजेंद्र अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि बसपा ने मलूक नागर और सपा ने शाहिद मंजूर को उतारा था। सबसे कड़ा मुकाबला मेरठ दक्षिण में था।

Meerut-Hapur LokSabha: Assembly की एक सीट ही पलट देती है पूरी बाजी, जानिए रिपोर्ट...



हापुड़ में भाजपा को 39673 वोट, बसपा को 37970 वोट और सपा को 31063 वोट मिले थे। किठौर ऐसी सीट थी जहां भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी। बसपा को यहां सबसे अधिक 50548 वोट और सपा को 47569 वोट मिले थे। राजेंद्र अग्रवाल को 35913 लोगों ने वोट किया था। सबसे बड़ा अंतर पैदा किया मेरठ कैंट सीट ने। यहां भाजपा को बड़ी बढ़त मिली। बढ़त करीब 28 हजार वोटों की थी।

2009 में हुए परिसीमन के बाद मेरठ सीट का गणित ही बदल गया। पहले इसमें मेरठ जिले की ही पांच विधानसभा (Assembly) सीटें थीं। इसमें किठौर, कैंट और मेरठ शहर के अलावा हस्तिनापुर और खरखौदा सीटें मेरठ लोकसभा का हिस्सा थीं। परिसीमन में हस्तिनापुर को बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया और खरखौदा की जगह मेरठ दक्षिण सीट का नाम दे दिया गया। हापुड़ शहर की सीट को मेरठ से जोड़ दिया गया। सीट का नाम भी मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र कर दिया गया। 

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