ब्यूरो रिपोर्टः उपचुनाव से पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने बड़ा ऐलान कर दिया है. मायावती ने कहा है कि भविष्य में बहुजन समाज पार्टी किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने जाट वोटरों पर अपनी भड़ास निकाली थी. बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी को जाटों का वोट नहीं मिला, जबकि दलितों का पूरा वोट इनेलो को ट्रांसफर हुआ, बसपा मुखिया मायावती ने आगे कहा कि वो अब कभी गठबंधन नहीं करेंगी. भाजपा और कांग्रेस से दूरी बनाकर रखेंगी।
बसपा मुखिया Mayawati ने कर दिया ये ऐलान
मायावती (Mayawati) ने अपने बयान में कहा कि स्वार्थी जो नेता है वो उनको पार्टी से कतई नहीं जोड़ेंगी, इनेलो के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव बसपा मुखिया मायावती ने जोरशोर से लड़ा था। मायावती ने साफ किया है कि वो कभी भी किसी भी राजनीतिक गठबंधन नहीं करेंगी. दरअसल इसी सियासी गठबंधन से पार्टी को लाभ नहीं हुआ है. दूसरे दलों का वोट उनकी पार्टी को ट्रांसफर नहीं हुआ है. मायावती (Mayawati) ने शुक्रवार को ट्विटर पर पोस्ट कर अपनी बात की है।
बसपा मुखिया ने दो टूक कहा है कि दूसरे राजनीतिक दलों में इतनी ताकत नहीं है कि वो बसपा में उनका वोट ट्रांसफर करा पाएं, यूपी और दूसरे राज्यों में भी यही देखने में आ रहा है. मायावती (Mayawati) ने आगे कहा कि बसपा का वोट तो दूसरे दलों को मिल जाता है, लेकिन दूसरे दलों का वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हो पाता है. इससे अच्छा चुनावी नतीजा नहीं आता है. पार्टी कैडर में निराशा और मायूसी छा जाती है, बसपा सुप्रीमो ने यह भी स्पष्ट किया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नतीजा नहीं मिला है।
दरअसल पंजाब विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला था. लिहाजा पार्टी नेताओं के साथ समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय दलों से भी भविष्य में गठबंधन नहीं करने का फैसला लिया गया है. आपको बता दे कि बसपा मुखिया मायावती ने 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से राजनीतिक मतभेद भुलाते हुए महागठबंधन किया था, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद इसे तोड़ भी दिया था।
यह भी पढ़ें: शामली में farmers के धरने बीच हुआ हंगामा, खाप चौधरियों पर विश्वास जताने से इनकार…
बसपा मुखिया मायावती (Mayawati) ने अपने बयान में साफ संदेश दिया है, कि बीजेपी की अगुवाई वाले NDA और कांग्रेस के INDIA गठबंधन से भी दूरी बनाए रखी जाएगी. जातिवादी ताकतें बसपा के स्वाभिमान को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।