ब्यूरो रिपोर्ट: सपा के जिलाध्यक्ष और तीन बार के पूर्व विधायक आलोक शाक्य (Alok Shakya) को पार्टी हाईकमान ने लखनऊ बुला लिया है। उनके एमएलसी बनाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं होने के चलते कार्यकर्ता भी असमंजस में रहे। अब सोमवार को नामांकन के दौरान ही स्थिति साफ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
भाजपा केशव प्रसाद मौर्य के सहारे शाक्य मतदाताओं को लुभाने में अब तक कामयाब रही है। इसके बाद विधानसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य भी शाक्य का नेतृत्व सपा में करते नजर आए। लेकिन अब वह पार्टी से विदा ले चुके हैं। ऐसे में शाक्य मतदाताओं को लुभाने के लिए सपा को भी कहीं न कहीं शाक्य (Alok Shakya) कार्ड की जरूरत है।
Alok Shakya को अखिलेश देगें तोहफा
दरअसल मैनपुरी के साथ ही एटा, फर्रुखाबाद, इटावा, बदायूं, कन्नौज, फिरोजाबाद समेत आसपास के बड़े क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। ये वोट अब भाजपा के पाले में है। वहीं मैनपुरी से भाजपा में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़ाने की चर्चाएं होने के बाद सपा ने मंथन शुरू कर दिया था। इसी को देखते हुए एटा और फर्रुखाबाद सीट से सपा ने शाक्य (Alok Shakya) को ही प्रत्याशी बनाया है।
मैनपुरी सीट पर डिंपल यादव प्रत्याशी हैं तो यहां भी शाक्य मतदाताओं को साधना जरूरी था। इसी को देखते हुए मैनपुरी से सपा के जिलाध्यक्ष और तीन बार के पूर्व विधायक आलोक शाक्य (Alok Shakya) को सपा द्वारा एमएलसी प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। रविवार को उन्हें पार्टी हाईकमान ने लखनऊ बुला लिया था। इसके बाद रविवार को देर शाम तक वे पार्टी कार्यालय पर ही रहे।
अगर पार्टी उन्हें एमएलसी बनाती है तो मैनपुरी व आसपास की सीटों पर सपा की स्वीकार्यता शाक्य मतदाताओं में बढ़ना तय है। आलोक शाक्य साफ-सुथरी छवि के नेताओं में गिने जाते हैं। 2002 से 2012 तक तीन बार लगातार सपा के टिकट पर भोगांव से जीतकर वह विधायक बने। आखिरी कार्यकाल में वह राज्य मंत्री भी रहे। वहीं 2017 और 2022 के चुनाव में उन्हें भाजपा के रामनरेश अग्निहोत्री से हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद पार्टी ने उन्हें डेढ़ साल पहले सपा जिलाध्यक्ष बना दिया था। सोशल मीडिया पर आलोक शाक्य को एमएलसी प्रत्याशी बनाए जाने की खबर तैरती रही। उनके समर्थकों ने बधाई भी दी। वहीं आलोक शाक्य (Alok Shakya) से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि पार्टी हाईकमान जो फैसला करेगी वह स्वीकार होगा। वह पार्टी के सच्चे कार्यकर्ता हैं और हमेशा रहेंगे।
वहीं अब मैनपुरी के सपा कार्यकर्ताओं को भी पार्टी की आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। माना जा रहा है कि सोमवार को नामांकन के दौरान ही अब स्थिति साफ हो सकेगी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दिसंबर 2022 में लोकसभा उप चुनाव हुआ था।
इसमें डिंपल यादव को सपा ने प्रत्याशी बनाया था। चुनाव से ठीक पहले पूर्व विधायक आलोक शाक्य को सपा जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। इससे संदेश साफ था कि सपा शाक्य मतदाताओं में भी अपनी पेंठ बढ़ा रही है। नतीजे आए तो डिंपल यादव को इसका फायदा भी मिला और वे 2.88 लाख मतों से जीतीं।