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Kash Patel ने मीडिया को बताया दुश्मन, यूएस में राम मंदिर पोस्ट के दौरान बटोरीं सुर्खियां…

Kash Patel ने मीडिया को बताया दुश्मन, यूएस में राम मंदिर पोस्ट के दौरान बटोरीं सुर्खियां...

ब्यूरो रिपोर्टः कश पटेल (Kash Patel) के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने काफी सुर्खियां बटोरीं, जिसमें उन्होंने मीडिया को यूएस का सबसे ताकतवर दुश्मन बताया था। यह बयान और इसके साथ जुड़ी उनकी पोस्ट ने न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना दिया। खासकर, जब उन्होंने राम मंदिर के संदर्भ में अपनी बात रखी, तो यह बयान और भी अधिक चर्चा में आया।

Kash Patel ने मीडिया को बताया दुश्मन

Kash Patel ने मीडिया को बताया दुश्मन, यूएस में राम मंदिर पोस्ट के दौरान बटोरीं सुर्खियां...

कश पटेल (Kash Patel) जो एक प्रमुख भारतीय-अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता और मीडिया विशेषज्ञ हैं, अक्सर अपनी बेबाक राय और टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने एक पोस्ट में कहा कि मीडिया “यूएस का सबसे ताकतवर दुश्मन” बन चुका है, खासकर जब बात भारत और उसकी सांस्कृतिक धरोहर, जैसे कि राम मंदिर की होती है। उनका यह बयान मीडिया के पक्षपाती रवैये को लेकर था, जिसे उन्होंने भारतीय समाज और धर्म से संबंधित मुद्दों पर पूर्वाग्रहपूर्ण और गैर-निर्णायक बताया।

Kash Patel ने मीडिया को बताया दुश्मन, यूएस में राम मंदिर पोस्ट के दौरान बटोरीं सुर्खियां...

कश पटेल (Kash Patel) ने अपनी पोस्ट में राम मंदिर के निर्माण को लेकर मीडिया के नकारात्मक दृष्टिकोण का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि जब भारत में राम मंदिर का निर्माण हुआ, तो कुछ पश्चिमी मीडिया संस्थानों ने इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया और भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को गलत तरीके से प्रदर्शित किया। उनका यह भी कहना था कि मीडिया का यह रवैया अमेरिका और पश्चिमी देशों में भारतीय समुदाय के प्रति नफरत और भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है।

Kash Patel ने मीडिया को बताया दुश्मन, यूएस में राम मंदिर पोस्ट के दौरान बटोरीं सुर्खियां...

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कश पटेल (Kash Patel) के बयान और पोस्ट ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है – मीडिया के पक्षपाती रवैये और भारत के सांस्कृतिक मुद्दों पर उसके नजरिए के बारे में। राम मंदिर पर मीडिया का दृष्टिकोण और पश्चिमी देशों में भारतीय संस्कृति को लेकर फैली गलतफहमियों के बीच, कश पटेल ने भारतीय समुदाय की आवाज उठाने की कोशिश की है। हालांकि, यह विषय विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ विवाद का कारण बना, लेकिन यह इस बात का संकेत है कि मीडिया की भूमिका और उसका प्रभाव आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

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