Kasganj में अवैध आरा मशीनों का बढ़ता कारोबार, क्या वन विभाग करेगा कदम?”
जयचंद (संवाददाता): Kasganj के सिढ़पुरा क्षेत्र में अवैध आरा मशीनों का कारोबार तेजी से फैलता जा रहा है। यहां के कटे हुए नीम और आम के हरे-भरे पेड़ों को आरा मशीनों तक पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर चालक लगे हुए हैं। वन विभाग इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे लकड़ी माफियाओं का कारोबार फल-फूल रहा है। इस रिपोर्ट में हम इस अवैध लकड़ी व्यापार के बारे में विस्तार से जानेंगे और यह भी समझेंगे कि जिम्मेदार प्रशासन क्यों चुप है।
Kasganj में अवैध लकड़ी व्यापार का खुलासा: सिढ़पुरा में अवैध आरा मशीनें
Kasganj के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र के करतला रोड स्थित अवैध आरा मशीनों का मामला दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यहां पर आम और नीम जैसे हरे-भरे पेड़ों की कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है। यह लकड़ी अवैध तरीके से आरा मशीनों तक पहुंचाई जा रही है, और प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। ट्रैक्टर चालक इन कटे हुए पेड़ों को आरा मशीनों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जहां इनका अवैध रूप से कारोबार हो रहा है।
क्यों नहीं हो रही कार्रवाई? वन विभाग और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों वन विभाग और प्रशासन अवैध आरा मशीनों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं? जब स्थानीय लोग इस मामले के बारे में शिकायत करते हैं, तो विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता। इससे साफ जाहिर होता है कि यह अवैध कारोबार बिना किसी डर के चल रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी इस पर नजरअंदाज कर रहे हैं। इस लापरवाही से न केवल पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय वन्य जीवन भी खतरे में है।

अवैध लकड़ी का व्यापार: कासगंज में बढ़ रहा खतरा
अवैध लकड़ी व्यापार का कारोबार अब Kasganj के सिढ़पुरा क्षेत्र में काफी बढ़ चुका है। यह केवल एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि पूरे जिले के लिए खतरे की घंटी है। अवैध रूप से कटे हुए पेड़ों की लकड़ी को किसी भी तरह से इन आरा मशीनों तक पहुंचाया जाता है, जिससे इनका कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। Kasganj के सिढ़पुरा क्षेत्र में अवैध लकड़ी व्यापार से न केवल पर्यावरणीय संकट पैदा हो रहा है, बल्कि वन्य जीवों के अस्तित्व पर भी असर पड़ रहा है।
कौन है जिम्मेदार? इस अवैध कारोबार का असली चेहरा
अवैध लकड़ी व्यापार से जुड़े लोग अब पूरी तरह से बेखौफ होकर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। इन आरा मशीनों को संचालित करने वाले लोग यह मानते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं होगी। इससे यह साबित होता है कि कोई न कोई जिम्मेदार व्यक्ति इस अवैध व्यापार के पीछे है। यह कारोबार अब बड़े पैमाने पर फैल चुका है, और इसकी जड़ें कासगंज के विभिन्न हिस्सों में फैल चुकी हैं।
Kasganj में पर्यावरणीय संकट: लकड़ी माफियाओं का बढ़ता प्रभाव
अगर इसी तरह से अवैध आरा मशीनों का कारोबार चलता रहा, तो कासगंज में पर्यावरणीय संकट और भी गंभीर हो सकता है। हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई से न केवल प्राकृतिक संतुलन बिगड़ेगा, बल्कि पूरे Kasganj क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र में भी भारी बदलाव आ सकता है। इसके अलावा, यह वन्य जीवों के लिए भी एक बड़ा खतरा है, क्योंकि उनके प्राकृतिक आवासों को नष्ट किया जा रहा है।
क्या कासगंज के प्रशासन और वन विभाग को अब जागना होगा?
Kasganj में अवैध आरा मशीनों के इस कारोबार पर रोक लगाने के लिए प्रशासन और वन विभाग को अब तुरंत कदम उठाने होंगे। अगर अब भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह अवैध कारोबार और भी तेजी से फैल सकता है, जिससे पर्यावरण और वन्य जीवन को गंभीर नुकसान हो सकता है।
Kasganj के सिढ़पुरा क्षेत्र में अवैध आरा मशीनों का कारोबार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे न केवल पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो रहा है, बल्कि वन्य जीवन और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बुरा असर पड़ रहा है। हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई और लकड़ी का अवैध व्यापार कासगंज के सिढ़पुरा क्षेत्र में बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यह सवाल उठता है कि आखिरकार किसकी सह पर यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
अगर प्रशासन और वन विभाग अब भी इस मामले में चुप रहते हैं, तो इस अवैध लकड़ी व्यापार का असर आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकता है। इस समस्या को हल करने के लिए जल्द ही कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि कासगंज के पर्यावरण और वन्य जीवन को बचाया जा सके और अवैध लकड़ी कारोबार पर काबू पाया जा सके।