कासगंज (जयचन्द्र): उत्तर प्रदेश के जनपद कासगंज (Kasganj) के विकासखंड अमापुर में सीडीपीओ सतीश चन्द्र की मिलीभगत से बाल पुष्टाहार वितरण में भारी धांधली हो रही है। यह मामला तब उजागर हुआ जब सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें यह दिखाया गया कि सीडीपीओ सतीश चन्द्र के संरक्षण में बाल पुष्टाहार की आपूर्ति में अनियमितताएं और घोटाले किए जा रहे हैं। यह घटना अमापुर परियोजना गोदाम में तैनात आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सत्यप्रभा के माध्यम से सामने आई, जो लंबे समय से बाल पुष्टाहार के वितरण में गड़बड़ी कर रही थीं।
Kasganj में बाल पुष्टाहार का वितरण और उसके उद्देश्य
बाल पुष्टाहार योजना का उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं को पोषण प्रदान करना है, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही ढंग से हो सके। इस योजना के तहत, आंगनवाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से बच्चों और महिलाओं को पोषण सामग्री (बाल पुष्टाहार) प्रदान की जाती है। यह खाद्य सामग्री पूरी तरह से सरकारी योजना का हिस्सा होती है, जिसका उद्देश्य कुपोषण को दूर करना और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।
लेकिन कासगंज (Kasganj) जिले में इस योजना के क्रियान्वयन में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं। वीडियो में यह आरोप लगाए गए हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सत्यप्रभा और सीडीपीओ सतीश चन्द्र की मिलीभगत से पात्र लाभार्थियों को बाल पुष्टाहार न तो नियमित रूप से दिया जा रहा है और न ही पूरी मात्रा में। इसके बजाय, सरकार द्वारा भेजे गए बाल पुष्टाहार का हिस्सा बाजार में बेच दिया जाता है, जिससे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है।
सोशल मीडिया पर वीडियो का वायरल होना
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिखाया गया है कि बाल पुष्टाहार की आपूर्ति में अनियमितताएं हो रही हैं। वीडियो में कुछ लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उनका हिस्सा बाल पुष्टाहार से वंचित किया जा रहा है, और यह सब सीडीपीओ की मिलीभगत से हो रहा है। इसके अलावा, कुछ लाभार्थियों का कहना है कि उन्हें कई महीनों से बाल पुष्टाहार नहीं मिला है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद स्थानीय लोग और मीडिया अब इस मामले की गहनता से जांच की मांग कर रहे हैं।
सीडीपीओ सतीश चन्द्र का पिछला इतिहास
सीडीपीओ सतीश चन्द्र का नाम पहले भी चर्चा में आ चुका है। इससे पहले पटियाली में भी उनकी कार्यशैली पर सवाल उठे थे, जब उन पर कुपोषण से संबंधित योजनाओं के सही क्रियान्वयन में गड़बड़ी करने का आरोप लगा था। उस समय भी सीडीपीओ सतीश चन्द्र के खिलाफ जांच बैठाई गई थी, लेकिन उस मामले की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। अब एक बार फिर सीडीपीओ सतीश चन्द्र के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन क्यों ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाता। (Kasganj)
स्थानीय जनता और अधिकारियों की भूमिका
स्थानीय जनता और सोशल मीडिया के सक्रिय सदस्यों ने इस मामले को उजागर किया है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या स्थानीय प्रशासन इस पर कार्रवाई करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार ने कई बार भ्रष्टाचार और कुपोषण के खिलाफ कड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक इस मामले में किसी भी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं या नहीं। (Kasganj)
आगे की कार्रवाई और सुधार की आवश्यकता
इस मामले में प्रमुख कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न घटें। संबंधित विभाग को इस मामले की गहनता से जांच करनी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यदि इस तरह की गड़बड़ियां जारी रहती हैं तो यह सरकारी योजनाओं की सफलता को प्रभावित करेगा और लोगों के विश्वास को कमजोर करेगा। (Kasganj)
साथ ही, लोगों को इस बात की भी जानकारी दी जानी चाहिए कि वे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना अधिकारियों को दें ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। बाल पुष्टाहार योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों का सही पोषण करना है, जो किसी भी देश के विकास के लिए आवश्यक है। ऐसे मामलों को नज़रअंदाज करना समाज और देश के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है। (Kasganj)
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कासगंज (Kasganj) के इस बाल पुष्टाहार घोटाले से यह साफ़ हो जाता है कि भ्रष्टाचार और कुपोषण पर काबू पाने के लिए एक सख्त और पारदर्शी नीति की जरूरत है। अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस तरह के घोटाले भविष्य में न हो और सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ उन तक पहुंच सके, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है।