ब्यूरो रिपोर्ट: वेस्ट यूपी की हॉट सीट कैराना (Kairana) पर इस बार भी चुनाव कड़ा होगा। चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही प्रत्याशियों ने मतदाताओं को अपनी तरफ करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस सीट पर अभी तक के कांग्रेस के प्रदर्शन की यदि बात की जाए तो 40 साल से कांग्रेस के लिए इस सीट पर सूखा ही है। वर्ष 1984 में हसन परिवार के चौधरी अख्तर हसन ने कांग्रेस से यहां पर जीत दर्ज की थी।
इससे पूर्व वर्ष 1971 के चुनाव में शफक्कत जंग ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी। पिछले 40 साल से कांग्रेस इस सीट (Kairana) पर जीत के लिए जद्दोजहद तो जरूर कर रही है, मगर कामयाबी नहीं मिल पा रही है। इस बार कांग्रेस का सपा से गठबंधन किया हुआ है।
कैराना (Kairana) लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं है, क्योंकि कैराना (Kairana) सीट सपा के पाले में है। इसलिए कांग्रेस-सपा गठबंधन के रूप में इस सीट पर हसन परिवार की बेटी इकरा हसन को चुनाव मैदान में उतारा है। अब देखना यह है कि इकरा अपने दादा अख्तर हसन के वर्ष 1984 की जीत को फिर से दोहरा पाती हैं या नहीं। उधर, बसपा प्रत्याशी श्रीपाल राणा भी जीतने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं। हालांकि, कांग्रेस और सपा के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी गठबंधन प्रत्याशी को जिताने के लिए इस बार दांव पर लगी है।
Kairana Lok Sabha
कांग्रेस जिलाध्यक्ष दीपक सैनी, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अश्वनी शर्मा, सपा विधायक नाहिद हसन, सपा जिलाध्यक्ष अशोक चौधरी, सपा के कैराना (Kairana) लोकसभा प्रभारी प्रो. सुधीर पंवार इकरा को जिताने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अब देखना यह है कि दिग्गजों का प्रयास कहां तक रंग लाता है। सपा के सहारे कांग्रेस जीत का ख्वाब देख रही है।
(Kairana) वर्ष 1962 में अजित प्रसाद जैन कांग्रेस से चुनाव मैदान में थे, मगर निर्दलीय यशपाल सिंह ने 48.38 प्रतिशत मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। वर्ष 1967 में वर्तमान में थानाभवन विधायक अशरफ अली के ताऊ सोशलिस्ट पार्टी के गय्यूर अली ने 26.43 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस प्रत्याशी एपी जैन को हार काे मुंह देखना पड़ा था। 1980 में कांग्रेस से नारायण सिंह चुनाव मैदान में थे।
मगर जेएनएस की गायत्री देवी ने 48.89 प्रतिशत अंक प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। वर्ष 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी अख्तर हसन ने 52.98 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज की थी। दूसरे स्थान पर एलकेडी के श्याम सिंह रहे थे। वर्ष 1971 में कांग्रेस प्रत्याशी शराफक जंग ने 52.36 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज की थी। वहीं गय्यूर अली 28.88 प्रतिशत अंक पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। इसी तरह वर्ष 1999 में जनता दल के हरपाल ने 44.65 प्रतिशत मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी,
जबकि कांग्रेस प्रत्याशी बशीर अहमद 11.04 प्रतिशत मत ही प्राप्त कर सके थे। वर्ष 1977 में बीएलडी के चंदन सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्हें 25.48 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शफाकत जंग 25.48 प्रतिशत मत पाकर हार गए थे। वर्ष 1996 के चुनाव में कांग्रेस से योगेश कुमार चुनाव मैदान में थे, मगर उन्हें मात्र 20 प्रतिशत वोट ही मिल सकी थीं।
सपा के मनव्वर हसन ने 32.75 प्रतिशत वोट पाकर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष चंद को हार का सामना करना पड़ा था। रालोद की अनुराधा चौधरी ने जीत दर्ज की थी। 2009 में बसपा प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने 39.05 प्रतिशत वोट पाकर पहला स्थान पाया था, जबकि कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार सिर्फ 5.21 प्रतिशत मत ही प्राप्त कर सके थे। वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस से हरेंद्र मलिक चुनाव मैदान में थे, मगर भाजपा के प्रदीप चौधरी ने 50.53 प्रतिशत मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी।