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राजस्थान-एमपी में जयंत को मिला कांग्रेस से धोखा, गठबंधन पर पड़ेगा असर?

राजस्थान-एमपी में जयंत को मिला कांग्रेस से धोखा, गठबंधन पर पड़ेगा असर?

ब्यूरो रिपोर्ट: राजस्थान में कांग्रेस से चार-पांच सीटों की उम्मीदें कर रहे जयंत चौधरी की झोली में सिर्फ एक सीट आई है। रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की तरह कांग्रेस को कोसा भले ही न हो, लेकिन उन्होंने कड़वा घूंट पीया है, और उनका मन जरूर खट्टा हो गया है। इसका असर निकट भविष्य में लोकसभा चुनाव के लिए बन रही विपक्ष की रणनीति पर दिखाई देना संभावित है। अखिलेश की नाराजगी गठबंधन से अलग भाव के रूप में सामने आई तो रालोद के लिए सहयोगी दल के रूप में पहला विकल्प सपा ही रहेगी। आईएनडीआईए गठबंधन बनने के बाद सपा और रालोद जैसे सहयोगी दलों को पूरी आस थी कि राज्यों के चुनाव में भी कांग्रेस उनका मान रखेगी और पर्याप्त सीटें लड़ने के लिए मिलेंगी।

राजस्थान-एमपी में जयंत को मिला कांग्रेस से धोखा, गठबंधन पर पड़ेगा असर?

उत्तर प्रदेश के इन दलों में से सपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहती थी और रालोद की नजर जाट बहुल राजस्थान की कुछ सीटों पर थी। कांग्रेस ने सपा को मध्य प्रदेश में एक भी सीट नहीं दी, और राजस्थान में पहले से गठबंधन में साथ रहे रालोद की उम्मीदों को ढेर कर दिया। पिछले विधानससभा चुनाव में दो सीटें दी थीं, जबकि इस बार सिर्फ एक भरतपुर। इसके बावजूद जयंत चौधरी शांत दिखे। सिर्फ इतना कहा कि हम ज्यादा सीटें चाहते थे। हमारे राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष नाराज हैं, उन्हें बातचीत कर मना लेंगे। माना जा रहा है कि जयंत के मन में कांग्रेस के प्रति कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन अंदरखाने कहानी कुछ और है।सूत्रों ने बताया कि राजस्थान की घटना दल की भविष्य की रणनीति पर पूरा असर डालने वाली साबित होगी। उनका कहना है कि जिस तरह से कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं ने मध्य प्रदेश में गठबंधन के बीच रोड़े अटकाए, उसी तरह राजस्थान में भी रालोद के साथ अपमानजनक व्यवहार के पीछे क्षेत्रीय कांग्रेस नेता ही हैं। इस पर दिल्ली में बैठे वरिष्ठ नेताओं ने भी गंभीरता से हस्तक्षेप नहीं किया, इसलिए कांग्रेस के प्रति पार्टी का विश्वास कमजोर हुआ है।

राजस्थान-एमपी में जयंत को मिला कांग्रेस से धोखा, गठबंधन पर पड़ेगा असर?

उनका कहना है कि जब यह चर्चा चल रही थी, कि सपा के गठबंधन से अलग होने के बाद कांग्रेस, बसपा और रालोद के साथ गठबंधन की संभावनाएं टटोल सकती है तो इस पर रालोद नेता कम से कम ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में तो थे ही, लेकिन फिलहाल संगठन का रुख यह है कि यदि  इंडिया गठबंधन बिखरता है तो कांग्रेस की बजाए अखिलेश यादव का हाथ थामा जाए। भविष्य में कुछ परिस्थितियां बदल जाएं तो बात अलग है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव संगठन त्रिलोक त्यागी का कहना है कि राजस्थान में रालोद को कांग्रेस ने एक सीट दी है, लेकिन हम भाजपा को हराने के लिए लड़ रहे हैं। साथ ही कहा कि कांग्रेस मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़ी पार्टी है, उसे वहां क्षेत्रीय दलों के प्रति बड़ा दिल दिखाना चाहिए था।

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