Instagram बना ‘हथियार बाजार’: यूपी पुलिस ने दबोचा सोशल मीडिया पर अवैध हथियार बेचने वाला गैंग
गौरव चौटाला (संवाददाता): उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने सोशल मीडिया (Instagram) की काली दुनिया को उजागर कर दिया है। पुलिस और एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) की संयुक्त टीम ने Instagram पर अवैध हथियारों का कारोबार करने वाले एक खतरनाक गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस गैंग के 7 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि गैंग का मास्टरमाइंड रक्षित त्यागी अभी फरार है।
सोशल मीडिया (Instagram) पर बिकते थे पिस्टल और तमंचे!
पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह इंस्टाग्राम पर अवैध हथियारों की तस्वीरें अपलोड करता था और फिर ग्राहकों को टारगेट कर उनसे डील करता था। एक पिस्टल की कीमत 50 से 60 हजार रुपये के बीच वसूली जाती थी। इस तरीके से यह गैंग मोटा मुनाफा कमा रहा था।
इन अपराधियों का नेटवर्क इतना संगठित था कि ग्राहक को हथियार की फोटो सोशल मीडिया पर दिखाने के बाद डिलीवरी हाथों-हाथ की जाती थी। पूछताछ में आरोपियों ने कबूला कि वे अलग-अलग क्षेत्रों से हथियार मंगवाकर स्थानीय युवाओं को बेचते थे, जो खुद को ‘गैंगस्टर’ कहलवाना चाहते थे।
गैंग का मास्टरमाइंड कौन है?
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गिरोह का सरगना है रक्षित त्यागी, जो कुख्यात बदमाश विक्की त्यागी का बेटा है।
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रक्षित पर दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह थाना चरथावल का हिस्ट्रीशीटर है।
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यह गैंग मध्यप्रदेश से अवैध हथियार मंगाकर इंस्टाग्राम पर बेचता था।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
एसओजी और नगर कोतवाली पुलिस को काफी समय से इस गैंग की गतिविधियों पर शक था। बुधवार को एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने नगर कोतवाली क्षेत्र के बड़कली फाटक के पास से सात आरोपियों को गिरफ्तार किया। मौके से तीन देशी पिस्टल, चार तमंचे, सात मोबाइल फोन और एक संदिग्ध मोटरसाइकिल बरामद की गई।
गिरफ्त में आए लोगों में उज्जवल त्यागी, अंकुर त्यागी और ऋतिक त्यागी के नाम भी सामने आए हैं, जिनके खिलाफ पूर्व में भी लूट और फायरिंग जैसे गंभीर अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं।

पुलिस का बयान
एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया,
“हमारी क्रिमिनल इंटेलिजेंस के आधार पर बड़ी कार्रवाई की गई है। रक्षित त्यागी एक चिन्हित गैंगस्टर है, जो इंस्टाग्राम के जरिए हथियारों की बिक्री कर रहा था। उसने एक पूरी चेन विकसित कर रखी थी। गिरफ्तार आरोपियों ने स्वीकारा है कि वे सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर ग्राहक ढूंढते थे और फिर उन्हें हथियार सप्लाई करते थे।”
सोशल मीडिया के ‘डार्क साइड’ की बानगी
यह मामला साफ दर्शाता है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग किस हद तक बढ़ चुका है। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स को अब सिर्फ तस्वीरें साझा करने के लिए नहीं बल्कि अपराध फैलाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में सोशल मीडिया कंपनियों को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग सिस्टम को और मजबूत करना चाहिए।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल की जांच की जा रही है जिससे और ग्राहकों तथा नेटवर्क से जुड़े लोगों की पहचान हो सके। रक्षित त्यागी की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह दबिश दी जा रही है।
इस पूरे मामले से यह स्पष्ट है कि अब अपराधी भी डिजिटल हो चुके हैं और कानून व्यवस्था को भी टेक्नोलॉजी के साथ खुद को अपडेट करना होगा।
यह मामला केवल अपराध की कहानी नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के बढ़ते खतरे की चेतावनी भी है। अगर समय रहते इन नेटवर्क्स पर नजर नहीं रखी गई, तो यह और बड़ा खतरा बन सकता है।
मुजफ्फरनगर में पकड़े गए इस इंस्टाग्राम गैंग का पर्दाफाश एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाली सच्चाई को उजागर करता है – अब अपराधी भी सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल खुलेआम अवैध गतिविधियों के लिए कर रहे हैं। जहां एक ओर इंस्टाग्राम जैसे मंचों का उद्देश्य समाज को जोड़ना और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है, वहीं दूसरी ओर इनका दुरुपयोग अपराध की नई तकनीकों को जन्म दे रहा है।
इस पूरे मामले से यह साफ है कि तकनीक के युग में अपराध भी हाईटेक हो चुके हैं। ऐसे में सिर्फ पुलिस या खुफिया एजेंसियों की नहीं, बल्कि सोशल मीडिया कंपनियों, साइबर एक्सपर्ट्स और आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना समय रहते संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाएं।
Instagram के माध्यम से हथियारों का काला कारोबार करना न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि यह समाज में अपराध को बढ़ावा देने का भी खतरनाक संकेत है।
इसलिए इस घटना से सबक लेने की जरूरत है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाला ग्लैमर हमेशा हकीकत नहीं होता—कभी-कभी उसके पीछे छिपा होता है एक घातक अपराध।
अब समय आ गया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की निगरानी और नियंत्रण को और मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।