पानीपत : लगभग तीन महीने बाद होने जा रहे Haryana Assembly Election को लेकर तमाम राजनैतिक दलों ने अपने-अपने हिसाब से ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। कांग्रेस 15 मुद्दों को आधार बनाकर ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ नामक अभियान शुरू कर चुकी है। जननायक जनता पार्टी (JJP), इंडियन नैशनल लोकदल (INLD) और दूसरे दल भी पीछे नहीं हैं। इसी बीच 10 साल से सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बार अलग ही दांव खेला है। यह दांव है राज्य के गैरजाट वोटरों को लुभाने का क्रम शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह महेंद्रगढ़ पहुंचे हैं। खास बात यह है कि 20 दिन के भीतर हरियाणा में उनका यह दूसरा राउंड है। इससे पहले उन्होंने पंचकूला में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी विस्तार बैठक में शिरकत की थी।
आरक्षण के मुद्दे ने किया BJP का नुकसान
जहां तक हरियाणा के नॉन जाट वोटर्स पर फोकस करने की वजह की बात है हाल ही में हुए पिछले महीने सामने आए लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा को आधी-अधूरी खुशी देने वाले रहे। इस नुकसान का मुख्य कारण आरक्षण का मुद्दा रहा, जिसे विपक्षी दलों ने खूब भुनाया था। इसी के चलते अब भाजपा हरियाणा के पिछड़े और दलित वोटरों के पीछे लग गई। कुल मिलाकर फोकस नॉन जाट वोटरों पर है।
Political Analysis : हरियाणा में आसां नहीं BJP का अगला सफर…
भाजपा नेतृत्व की इस रणनीति पर थोड़ा गौर करें तो साफ हो जाएगा कि साढ़े 9 साल के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को केंद्र में सैटल करने से पहले पार्टी ने उनकी जगह अन्य पिछड़ा वर्ग से आते नायब सिंह सैनी के हाथ प्रदेश की सत्ता की चाबी सौंप दी। इस कदम के जरिये जीटी रोड बैल्ट में आते अंबाला, पानीपत, करनाल आदि जिलों के वोटबैंक को साधने की तैयारी कर चुकी है। इसके बाद ब्राह्मण समाज से आते मोहन लाल बड़ौली को पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बना दिया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
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अगला निशाना अहीरवाल पर
अगला कदम दक्षिणी हरियाणा से अहीरवाल बैल्ट को अपनी मुट्ठी में करना रहेगा। मंगलवार को महेंद्रगढ़ स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में पिछड़ा वर्ग सम्मान सम्मेलन में अमित शाह का बतौर मुख्य मेहमान आना इस बात का बड़ा संकेत है। पार्टी इस कार्यक्रम से दक्षिणी हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी, भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात और आसपास के इलाके की 24 विधानसभा सीटों पर ओबीसी के बड़े वोट बैंक को साधना चाह रही है। असल में यहां की राजनीति में बड़ा रुतबा रखते राव इंद्रजीत इस वक्त पार्टी से थोड़ा नाराज कहे जा रहे हैं। संभावना है कि शाह उन्हें भी मना लेने में कामयाब रहें।
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