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Haryana Assembly Election : राखी से पहले फिर मने ‘रूठे भाई-बहन’, INLD और BSP में तीसरी बार हुआ गठबंधन

Haryana Assembly Election : राखी से पहले फिर मने 'रूठे भाई-बहन', INLD और BSP में तीसरी बार हुआ गठबंधन

चंडीगढ़ : Haryana Assembly Election को लेकर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों की सियासत भी खूब गर्माने लगी है। तपिश उत्तर प्रदेश तक भी पहुंच गई और इसके चलते बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती के दिल में एक बार अपने इंडियन नैशनल लोकदल (INLD) वाले भाई के लिए प्यार जागा है। दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। खास बात यह भी है कि इन दोनों पार्टियों में यह चुनावी समझौता तीसरी बार हुआ है। अब से पहले दो बार इन दोनों का रिश्ता टूट चुका है। या यूं कहिए कि एक-दूसरे से रूठे भाई-बहन एक बार फिर राजी हो गए हैं।    

दिल्ली में बनी सहमति और चंडीगढ़ में हुआ ऐलान

हरियाणा में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बीते दिन INLD और BSP के नेताओं के बीच दिल्ली में चर्चा हुई। इस दौरान BSP की अध्यक्ष मायावती और INLD के प्रधान महासचिव अभय चौटाला एक घंटे के गहन मंथन के बाद दोनों राजनैतिक दलों के बीच हरियाणा में गठबंधन करके चुनाव लड़ने पर सहमति बनी। इस सहमति के मुताबिक प्रदेश की कुल 90 में से 53 विधानसभा सीटों पर INLD और 37 पर BSP चुनाव लड़ेंगी। अगर कोई चमत्कार कर सकी तो गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा अभय चौटाला होंगे। गुरुवार को चंडीगढ़ में दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने इस गठबंधन का औपचारिक ऐलान भी कर दिया।

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पहले कब-कब साथ आए दोनों दल?

उधर, इस मामले में यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज पार्टी हरियाणा में परंपरागत वोटबैंक रखती है। इसी वोटबैंक का फायदा हासिल करने के लिए 1996 के लोकसभा चुनाव के वक्त इन दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया था। तब बसपा ने एक और इनेलो ने चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2019 में इनेलो और बसपा ने फिर साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। अब तीसरी बार फिर से दोनों दल एक मंच पर आए हैं। देखने वाली बात यह होगी कि राखी से पहले इकट्ठे हुए भाई-बहन क्या चुनावी दिवाली की मिठाई एक साथ खा पाएंगे, क्योंकि प्रदेश की जनता भाजपा के सुशासन के साढ़े 9 साल के दावों के बावजूद कई तरह की समस्याओं से जूझ रही है

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