नई दिल्ली : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के बाद अब देश की सबसे बड़ी अदालत में भी हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार झेलनी पड़ी। मामला Farmers Protest के चलते लगभग 5 महीने से नैशनल हाईवे-44 को बद किए जाने का है। पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर शंभू में किए गए प्रशासनिक इंतजामों को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि राज्य सरकार हाईवे का ट्रैैफिक कैसे रोक सकती है? कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का काम ट्रैफिक को कंट्रोल करना है। बॉर्डर को भी खुला रखें और नियंत्रण के साथ।
10 फरवरी से बंद है नैशनल हाईवे-44
बता दें कि बीती 10 फरवरी को किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था। इसके बाद हरियाणा सरकार के आदेश पर प्रदेश की पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजैंसियों ने नैशनल हाईवे-44 को पंजाब के बॉर्डर पर बंद कर दिया। अब पिछले महीने से हरियाणा और पंजाब के बीच आवागमन करने वाले हजारों की तादाद में लोग परेशान हो रहे हैं। अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए उन्हें दूसरे रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है। इसी के साथ अंबाला के स्थानीय कारोबारी भी इस बंद से खासे परेशान हैं। नौबत उनके परिवारों का भरण-पोषण नहीं होने तक भी आ चुकी है।
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इसी के चलते न सिर्फ व्यापारियों और दुकानदारों ने कई बार प्रदर्शन भी किए, बल्कि बॉर्डर खुलवाने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका भी लगा दी। बीते दिनों इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश की सरकार को एक सप्ताह के अंदर हाईवे को खोलने का आदेश दिया था। अब इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी टिप्पणी आई है।
प्रदर्शनकारी की मौत पर सुनवाई अभी नहीं
असल में हाईकोर्ट ने किसान आंदोलन के दौरान 22 साल के एक प्रदर्शनकारी युवक की मौत की घटना की न्यायिक जांच का आदेश दिया था। इसके खिलाफ हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस याचिका पर सुनवाई को तो सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल के लिए टाल दिया है, लेकिन इसी हाईकोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार को बॉर्डर खोलने के साथ-साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कही है।