ब्यूरो रिपोर्ट: क्या कांग्रेस (Congress) के राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को चुनाव जितने का एक ओर मौका दे दिया. क्या अमेठी में राहुल गांधी चुनाव हारने के डर से रायबरेली चुनाव लड़ने चले गए. दरअसल ये वो तमाम सवाल है जो सोशल मीडिया पर पूछे जा रहें है. तो आज हम इन्ही सवालों की पड़ताल आज अपनी इस रिपोर्ट में समझने जा रहें है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के बीच यूपी की रायबरेली सीट व अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट को लेकर सस्पेंस समाप्त हो चुका है।
कांग्रेस (Congress) के गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट से सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र प्रतिनिधि के रहे किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है, वही रायबरेली सीट से काग्रेंस (Congress) नेता राहुल गांधी को उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन कांग्रेस के इस फैसले पर अब सवाल उठ रहे हैं, जो इस समय चर्चा का विषय बने हुए है। सवाल यह कि क्या गांधी परिवार की अमेठी सीट से कोई दूरी तो नही, ओर सवाल यह भी कि क्या राहुल गांधी के चुनाव में न होने से स्मृति ईरानी को अमेठी में आसान जीत मिल सकती है।
ये सवाल उस वक्त उठ रहे है जब काग्रेंस नेता राहुल गांधी ने इस सीट से चुनाव लडने को लेकर साफ इनकार कर दिया था। ओर इस सीट से किशोरी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है। आपको बता दे 25 साल के बाद इस सीट पर गांधी-नेहरू परिवार से कोई उम्मीदवार नहीं उतरा है । क्योंकि, 1967 में जब अमेठी सीट अस्तित्व में आई थी तो उसके बाद से यह सीट गांधी परिवार का गढ़ रही है.पहले 29 सालों तक यहां गांधी परिवार या उनके करीबी ही चुनाव जीतते रहे.
राजीव गांधी की हत्या के बाद जब सोनिया गांधी एक्टिव राजनीतिक में नहीं थीं, तो तब पहले राजीव गांधी के करीबी सतीश शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया था. अमेठी सीट अस्तित्व में आने के बाद यह पहला मौका था जब कोई गांधी परिवार से यहां चुनाव नहीं लड़ रहा था. हालांकि राजीव गांधी के निधन के बाद हुए इस चुनाव में सतीश शर्मा ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस (Congress) ने सतीश शर्मा को फिर से 1998 में अपना उम्मीदवार बनाया था. तब कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सतीश शर्मा को हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार संजय सिंह ने जीत दर्ज की थी.
अमेठी सीट अस्तित्व में आने के बाद यह कांग्रेस (Congress) की पहली हार थी. लेकिन मार्च 1998 में सोनिया गांधी एक्टिव पॉलिटिक्स में आ गईं और उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद 1999 के चुनाव में वह अमेठी से उम्मीदवार चुनी गईं और बीजेपी उम्मीदवार संजय सिंह को 3 लाख से अधिक वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. 2004 में यह सीट सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को दे दी थी. बता दे कि 2004 से लेकर 2019 तक राहुल गांधी अमेठी से सांसद रहे. उन्होंने 2004, 2009 और 2014 में जीत दर्ज की थी. लेकिन बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा था.
यानी इस सीट पर नेहरू-गांधी परिवार की पहली हार थी. तब बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर स्मृति ईरानी ने जीत दर्ज की थी. अब 2024 में कांग्रेस (Congress) ने राहुल गांधी को रायबरेली सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है. लेकिन एक बार फिर जब गांधी परिवार से अलग कोई चुनाव लड़ रहा है, इसके पीछे कांग्रेस ने एक बड़ी रणनीति बिना किसी गांधी परिवार से टिकट देकर यहां बनाई है.
क्योंकि किशोरी शर्मा पार्टी के करीबी नेता है. साथ ही विपक्ष कि हार एक चाल को भापते है. इसीलिए स्मृति रानी के कद कम करने के लिए कांग्रेस (Congress) को लगता है कि स्मृति को आम कार्यकर्त्ता आसानी से चुनाव हरा सकता है. लेकिन दूसरी ओर कहां ये भी जा रहा है कि कांग्रेस के इस फैसले से पर सवाल उठा रहे हैं और इस रणनीति से बीजेपी को एक तरह से राहत के तौर पर देखा जा रहा है.