ब्यूरो रिपोर्टः भारत की डेयरी (dairy) क्षेत्र में वृद्धि धीमी हुई है, लेकिन फिर भी वैश्विक स्तर पर उसका नेतृत्व बरकरार है। यह स्थिति मुख्य रूप से डेयरी उत्पादन और खपत के लिए भारत की अत्यधिक निर्भरता और आंतरिक बाजार की सुदृढ़ स्थिति को दर्शाती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इसके दूध उत्पादन में लगातार वृद्धि होती रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि की गति में कमी आई है।
dairy वृद्धि हुई धीमी, लेकिन वैश्विक नेतृत्व बरकरार
कृषि और जलवायु परिवर्तन: कृषि क्षेत्र में समस्याओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण दूध उत्पादन में बढ़ोतरी धीमी हो गई है। कई इलाकों में सूखा, बर्फबारी और अनियमित बारिश की वजह से चरागाहों और चारे की कमी हो रही है, जिससे मवेशियों की दूध देने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
श्रमिकों की कमी: डेयरी (dairy) उद्योग में श्रमिकों की कमी और उनके लिए कामकाजी परिस्थितियों का सुधार न होना भी एक चुनौती है।
आधुनिक तकनीकी की कमी: हालांकि भारत के डेयरी (dairy) उद्योग ने तकनीकी दृष्टिकोण से कुछ प्रगति की है, लेकिन अब भी बहुत से क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इससे उत्पादन की गति धीमी हो सकती है।
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हालांकि, भारत अभी भी दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक और उपभोक्ता बना हुआ है। 2020-21 में भारत ने लगभग 210 मिलियन मीट्रिक टन दूध का उत्पादन किया था, जो वैश्विक उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा है। इसके अतिरिक्त, भारत के डेयरी उत्पादों की मांग घरेलू बाजार में काफी मजबूत बनी हुई है और निर्यात में भी वृद्धि हो रही है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत की डेयरी (dairy) वृद्धि धीमी होने के बावजूद, इसके वैश्विक नेतृत्व को बनाए रखने की क्षमता है, क्योंकि इसकी जनसंख्या और आंतरिक उपभोक्ता बाजार अभी भी मजबूत हैं।