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Ch. Charan Singh को जयंत के बाद इन्होने उठाई, भारत रत्न की मांग !

Ch. Charan Singh को जयंत के बाद इन्होने उठाई, भारत रत्न की मांग !

ब्यूरो रिपोर्टः देश में एक तरफ तो लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सरगर्मी तेज हैं वही दूसरी ओर किसान मसीहा व् पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Ch. Charan Singh) को भारत रत्न देने की मांग अब तेज हो गई हैं। बकायदा राष्ट्रीय जाट महासभा (भारत) ने 17 दिसंबर को मेरठ में एक बड़ा महाधिवेशन बुलाने का ऐलान किया हैं।

जिसमे समाज के कई बड़े जवलनशील मुद्दों पर भी चर्चा होगी। इस अधिवेशन ने दर्जनों मुख्य मुद्दों पर चर्चा के साथ महापुरुषों को भारत रत्न की मांग सहित, भगत सिंह को शहीद का दर्जा व् उनकी जयंती पर अवकाश की घोषणा जैसे कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होनी हैं।

Ch. Charan Singh को जयंत के बाद इन्होने उठाई, भारत रत्न की मांग !

Ch. Charan Singh भारत रत्न की मांग तेज

बता दे कि चौधरी चरण सिंह (Ch. Charan Singh)को किसानो का मसीहा कहां जाता हैं , सभी राजनीतिक दल चौधरी चरण सिंह को अपना आदर्श मानती हैं, चौधरी चरण सिंह के नाम पर राजनीतिक दल वोट बैंक बटोरने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनको अभी तक किसी भी पार्टी ने भारत रत्न देने की मांग को धार देने की कोशिश नहीं की हैं।

यहाँ तक की सत्ताधारी भाजपा भी चौधरी चरण सिंह के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन कर किसानों के हितेषी होने का दम भरती हैं। लेकिन उनको भारत रत्न देने की पहल अभी तक भाजपा की ओर से भी नहीं गई हैं। बता दे चौधरी चरण सिंह(Ch. Charan Singh) के पोते व् राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी चाहते हैं ।

Ch. Charan Singh को जयंत के बाद इन्होने उठाई, भारत रत्न की मांग !

की उनके दादा को सरकार भारत रत्न के सम्मान से नवाजकर उन्हें सम्मान देने का काम करें,  जिसका जिक्र भी रालोद मुखिया एक जनसभा के दौरान मंच से कर पहले भी कर चुके हैं।  सत्ताधारी पार्टी भाजपा से जयंत चौधरी सहित राष्ट्रीय जाट महासभा भारत ने अब भारत रत्न की मांग उठाकर एक बार फिर किसानो के बीच उम्मीद बढ़ा दी हैं। 

हालांकि ऐसा नहीं हैं की भाजपा ये नहीं जानती की चौधरी चरण सिंह (Ch. Charan Singh)को अगर वो भारत रत्न से नवाजती हैं, तो उसका फायदा उन्हें लोकसभा चुनाव में नहीं मिलेगा, जबकि भाजपा भी किसानो की सहानुभति बटोरना चाहती हैं ।जिसके लिए उन्होंने चौधरी चरण की 23 दिसंबर को होने वाली जयंती के मोके पर अवकाश की घोषणा की हुई हैं।

लेकिन भारतरत्न की पहल अभी तक सरकार की ओर से नहीं देखी गई हैं। लेकिन चुनाव से पहले एक बार फिर उठी ये मांग से अब लगता हैं, कि किसानो के अंदर इसको लेकर फिर जागृति आ सकती हैं। ऐसे में देखना होगा की 17 दिसंबर में होने वाले इस महाधिवेशन का कितना असर इन मांगो पर पड़ता दिखने वाला हैं।

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