पटना : देश की राजनीति में उबाल ला चुके पेपर लीक मामले में एक बड़ा अपडेट आया है। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने इस मामले को लेकर एक सख्त कानून बना दिया है। Law on Paperleak के अनुसार लीक करना या इस तरह की किसी भी दूसरी गतिविधि में शामिल होना सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती माना जाएगा। कानून में उल्लंघन करने वाले के लिए दोष साबित हो जाने पर 10 साल की कैद और एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
बता दें कि यह नियम परीक्षा में धांधली और पेपर लीक हो जाने के मामलों पर कार्रवाई के उद्देश्य से बिहार लोक परीक्षा (अनुसूचित साधन निवारण) विधेयक 2024 के तहत बना है। बुधवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) की गठबंधन सरकार ने विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत किया। इसके बाद यह बहुमत के साथ पास भी हो गया। यह अलग बात है कि अपराधियों काबचाव करने के लिए विपक्षी दल सदन से बाहर चले गए थे।
पहले होती थी 6 महीने की कैद
इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए जल संसाधन और संसदीय मामलों के कैबिनेट मंत्री विजय चौधरी ने बताया कि परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कानून लागू कर रखा है। अब बिहार सरकार भी ऐसा ही एक कानून लागू करने जा रही है। देश के 16 राज्यों में परीक्षा में गड़बड़ी के 48 मामले आ चुके हैं। इसी के चलते बिहार की सरकार ने पेपर लीक मामले को गंभीरता से लिया है। हालांकि यहां से पहले से कानून है, लेकिन 1981 में बने कानून में सजा के कड़े प्रावधान नहीं थे। दोषी को सिर्फ 6 महीने की कैद ही होती थी। अब इस कानून में थोड़ी सख्ती बढ़ाई गई है।
सजा के प्रावधान अलग-अलग
विजय चौधरी के मुताबिक अगर कोई अभ्यर्थी नियमों के उल्लंघन का दोषी मिला तो उसे 3 से 5 साल की कैद और 10 लाख रुपए जुर्माने की सजा इस नियम में तय की गई है। परीक्षा कराने वाली एजैंसी या संस्थान पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना होगा। परीक्षा की लागत भी उसी से वसूली जाएगी, वहीं चार साल के लिए संबंधित संस्थान को ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है।
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