ब्यूरो रिपोर्टः यह सवाल उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल को लेकर है, जिसमें राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की भूमिका और संभावित रणनीतियों का उल्लेख किया गया है। राहुल गांधी से दूरी और अखिलेश यादव से नजदीकी की बात इस संदर्भ में की जा रही है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हाल के दिनों में तालमेल में उतार-चढ़ाव देखा गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की भी सक्रियता बढ़ी है, और उनकी पार्टी ने राज्य में अपने पांव फैलाने की योजना बनाई है।
Arvind Kejriwal की राहुल गांधी से दूरी और अखिलेश से नजदीकी
केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की प्लानिंग की चर्चा इस वजह से हो रही है क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सशक्त राजनीतिक उपस्थिति बनाई है, और अब उनकी नजरें उत्तर प्रदेश पर हैं, जहां वह अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों में शक्ति प्रदर्शन और प्रभावी राजनीति करने की योजना हो सकती है। यह स्थिति भाजपा के मुकाबले एक नई चुनौती का रूप ले सकती है, जहां राज्य में एक और तीसरे मोर्चे की संभावना उत्पन्न हो सकती है।
हालांकि, इस तरह की राजनीतिक रणनीतियों का असली चेहरा दिल्ली में दिख सकता है, जहां पार्टी के नेतृत्व में निर्णयों और चुनावी रणनीतियों से इस बात का संकेत मिलेगा कि केजरीवाल का उत्तर प्रदेश में किस तरह से खेल खेलने का इरादा है। वहीं, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ बनाने के लिए लगातार सक्रिय है, और उनके लिए यह एक बड़ा मौका हो सकता है।
यह भी पढ़ें: कड़ाके की Cold और शीतलहर का प्रकोप जारी, मौसम विभाग ने किया अलर्ट…
दिल्ली में होने वाली किसी भी रणनीतिक बैठक या घोषणा से यह साफ हो सकता है कि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) उत्तर प्रदेश में अपनी ताकत को किस तरह से बढ़ाने की योजना बना रहे हैं और क्या वे गठबंधन की बजाय अकेले चुनावी मैदान में उतरने की सोच रहे हैं।