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अर्ध Matsyendrasana करने से पीठ दर्द और अपच जैसी समस्याओं में मिलता है फायदा,

अर्ध Matsyendrasana करने से पीठ दर्द और अपच जैसी समस्याओं में मिलता है फायदा,

ब्यूरो रिपोर्ट… अर्ध (Matsyendrasana) करने से शरीर को कई अद्भुत फायदे मिलते हैं। योग न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। ऐसे कई योगासन हैं, जिनके नियमित अभ्यास से कई गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है। इन योगासनों की सूची में अर्ध मत्स्येन्द्रासन भी शामिल है।

अर्ध Matsyendrasana करने के फायदे

 

अर्ध Matsyendrasana करने से पीठ दर्द और अपच जैसी समस्याओं में मिलता है फायदा,

 

अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) को अंग्रेजी में ‘सीटेड ट्विस्ट पोज’ कहा जाता है। यह एक सरल लेकिन प्रभावी आसन है, जिसमें फर्श या कुर्सी पर बैठते समय रीढ़ की हड्डी को हल्का मोड़ना शामिल होता है। यह योगासन रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, पाचन में सुधार करने, मानसिक विश्राम और शारीरिक संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) विशेष रूप वृद्ध लोगों और अर्थराइटिस के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर की कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

पॉश्चर में सुधार: अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बनाए रखने और कठोरता को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, यह पॉश्चर में सुधार करने में भी मदद करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जिन्हें लंबे समय तक बैठकर काम करना होता है।

 

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पाचन में सहायता: अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) पेट के अंगों को उत्तेजित करने, बेहतर पाचन को बढ़ावा देने और गट हेल्थ में सुधार करने में मदद करता है। । इसके नियमित अभ्यास से गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

 

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शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है: अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास करने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे लिवर और किडनी के कामकाज को सुधारने में मदद मिल सकती है।

पीठ के निचले हिस्से के दर्द को कम करता है: अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) के अभ्यास से पीठ और रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाने में मदद मिलती है। यह पुराने पीठ दर्द या मांसपेशियों में अकड़न से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है।

 

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फेफड़ों की क्षमता में सुधार: अर्ध मत्स्येन्द्रासन छाती और पसलियों को खोलने में मदद करता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है। इसके अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है और डायाफ्राम को मजबूत करने में मदद मिलती है।

 

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ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है: अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) के अभ्यास से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करने और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है।

 

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तनाव और चिंता से राहत: अर्ध मत्स्येन्द्रासन तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है, जिससे शरीर और दिमाग को शांत करने में मदद मिलती है। इस के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव कम होता है और मानसिक शांति को बढ़ावा मिलता है।

 

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जोड़ों के दर्द से राहत: नियमित रूप अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Matsyendrasana) का अभ्यास करने से जोड़ों के दर्द और गठिया की परेशानी को दूर करने में मदद मिलती है।

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