ब्यूरो रिपोर्टः 2024 लोकसभा चुनाव अब नजदीक है, जिसे लेकर सभी पार्टी अपना अपना सियासी कुनबा मजबूत करने में जुटे है इसी बीच मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का विवाद जगजाहिर हो चुका है, लेकिन राजस्थान में भी राष्ट्रीय लोकदल को कांग्रेस के एक फैसले से बड़ा झटका लगा है. तो आज इसी बात पर चर्चा करेगे, दरअसल जहा एक ओर कांग्रेस, I.N.D.I.A. अलायंस के लिए क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लाने की कोशिश में है, तो वहीं मौजूदा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में वह उन्हें तवज्जो भी नहीं दे रही है. मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच जो हुआ उसकी चर्चा चारो ओर हुई. इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रतिक्रियाएं दीं।
वहीं अब राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है. यहां कांग्रेस ने जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल की मनपंसद सीट पर उम्मीदवार उतार दिया. दरअसल, मंगलवार को कांग्रेस ने प्रत्याशियों की एक लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में कांग्रेस ने अनूपगढ़ सीट से एक महिला उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाया. कांग्रेस ने इस विधानसभा क्षेत्र से शिमला देवी नायक को कैंडिडेट घोषित किया. हालांकि रालोद यह सीट मांग रही थी. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटों- भरतपुर और मालपुरा से चुनाव लड़ने वाली रालोद इस बार 4-5 सीटों की मांग कर रही थी. सूत्रों की माने तो रालोद भरतपुर, अनूपगढ़, मालपुरा उदयपुरवाटी और सरदारशहर सीट की मांग कर रही थी.जयंत चौधरी ने खुद बीते दिनों कहा था ।
कि उन्हें कांग्रेस से वह सीटें चाहिए जो वह बीते 4-5 बार से जीत नहीं पाए हैं. हम उन्हें जीत कर देंगे. रालोद की कोशिश थी कि वह जाट बाहुल्य सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन अनूपगढ़ सीट पर कांग्रेस के फैसले से उसे झटका लगा है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस बार भी रालोद को 2 सीट से ज्यादा देने के मत में नहीं है. अनूपगढ़ सीट से कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी के एलान पर अभी तक रालोद या जयंत चौधरी की प्रतिक्रिया नहीं है. हालांकि अंदरखाने माना जा रहा है कि कांग्रेस के इस फैसले से रालोद परेशान है और वह जल्द ही यह मुद्दा राज्य की कांग्रेस इकाई के सामने उठा सकती है. हालांकि उत्तर प्रदेश में रालोद, सपा और कांग्रेस ही वह तीन मुख्य राजनीतिक दल हैं।
जो I.N.D.I.A बैनर के तले हैं. जब एमपी में सपा के साथ कांग्रेस का सीट शेयरिंग पर विवाद सामने आया था तब अखिलेश यादव भी खासे नाराज दिखे थे. उनका स्पष्ट कहना था कि अगर कांग्रेस को यही करना था तो वह बता देते हम गठबंधन ही नहीं करते. इतना ही नहीं यूपी के संदर्भ में अखिलेश यादव पहले ही कांग्रेस को संकेत दे चुके हैं कि वह सीटें मांग नहीं रहे बल्कि दे रहे हैं. दूसरी ओर माना यह भी जा रहा था कि अगर राजस्थान में कांग्रेस, रालोद की डिमांड पूरी करती है तो वह यूपी में अखिलेश यादव को सीट शेयरिंग के मुद्दे पर मनाने की कोशिश कर सकते हैं।
दावा था कि रालोद यूपी में सपा के साथ और कांग्रेस के साथ राजस्थान में है. हालांकि सीटों की मांग पूरी होती न देख, रालोद का नया रुख क्या होगा यह वक्त बताएगा. राजनीतिक जानकारों की मानें तो जयंत भी अखिलेश यादव की राह चल सकते हैं।