ब्यूरो रिपोर्टः 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में सभी राजनितिक पार्टिया जुटी हैं, लेकिन एक तरफ तो विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A में सपा के साथ बातचीत का दौर जारी है, जबकि दूसरी तरफ यूपी कांग्रेस की नजरें सपा के ही नेताओं पर हैं। पूर्व सांसद रवि वर्मा की कांग्रेस में जॉइनिंग सोमवार को होगी, जबकि इसके बाद कम से कम दस पूर्व सांसद और विधायकों को कांग्रेस में लाने के लिए अलग-अलग स्तर पर बातचीत जारी है। यूपी में जनाधार बढ़ाने में जुटी कांग्रेस की नजरें अपनी पार्टी में ऐसे चेहरों को शामिल करने पर है, जिनके आने से वोट बढ़ें।
जिन चेहरों पर कांग्रेस की नजर है, उनमें सबसे ज्यादा नेताओं का जुड़ाव सपा से है। सूत्र बताते हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के एक वर्तमान विधायक भी इस तरह की बातचीत में शामिल हैं। हालांकि उनकी बातचीत पर अंतिम मुहर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों के चुनावों के नतीजों के बाद लगेगी। वह फिलहाल जॉइनिंग के लिए और इंतजार करना चाहते हैं। वहीं, सहारनपुर मंडल से ताल्लुक रखने वाले दो पूर्व सांसदों से भी कांग्रेस के नेता बातचीत कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि कमोबेश इनसे बातचीत फाइनल है और फिलहाल सही समय का इंतजार जॉइनिंग के लिए कर रहे हैं।कांग्रेस भी सपा के सभी नेताओं को एक साथ जॉइन नहीं करवाना चाहती है। कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक सपा के ही नेताओं की जॉइनिंग लगातार होती रही तो इससे सपा में संदेश गलत जाएगा। लिहाजा कुछ समय तक दलित और मुस्लिम नेताओं की जॉइनिंग पर फोकस किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस के संगठन पदाधिकारियों के मुताबिक ज्यादातर नेता फिलहाल सही वक्त का इंतजार जॉइनिंग के लिए कर रहे हैं।
ज्यादातर का मानना है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद के हालात के मुताबिक फैसला लिया जाएगा। ज्यादातर बातचीत में गठबंधन में मिलने वाली सीटों और अन्य मामलों पर बातचीत रुकी हुई है। कुछ नेता जॉइनिंग से पहले प्रियंका या राहुल गांधी से मिलने की भी इच्छा जता रहे हैं। जबकि अभी दोनों पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं। लिहाजा अभी वह प्रक्रिया पूरी नहीं की जा पा रही है। बताया जा रहा है कि कुछ पूर्व आईपीएस भी कांग्रेस के संपर्क में हैं। जबकि एक अन्य आईपीएस का संबंध राजनीतिक परिवार से रहा है, जिसकी राजनीतिक सक्रियता यूपी के अवध क्षेत्र में रही है।
इन पूर्व आईपीएस को एक मामले में रिटायर किया गया था। जिसके बाद अब वह राजनीतिक पारी शुरू करना चाहते हैं। इनके अलावा दो और लोग हैं जिनसे बातचीत शुरुआती दौर में है। हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि बातचीत पूरी हो जाएगी।दूसरी तरफ अखिलेश यादव पहले ही 80 सीटों पर अपनी तैयारियों को लेकर बयान दे चुके हैं। मतलब साफ़ हैं की न तो अखिलेश यादव ही कोंग्रस पर भरोसा कर रहे हैं, न ही कांग्रेस अखिलेश को भरोसे में लेना चाहती हैं। ऐसे में सवाल ये भी हैं की क्या साइलेंट मोड़ में नजर आ रही मायवती इस पुरे खेल का हिस्सा भी हो सकती हैं, और अखिलेश यादव 24 के इस चुनाव में गच्चा खा जांएगे।