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Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

 ब्यूरो रिपोर्टः 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) नजदीक आते ही राजनीतिक सरगार्मियां बढने लगी है, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी ने यूपी की 16 लोकसभा सीटो (Lok Sabha Elections) पर प्रत्याशियो के नाम की घोषणा करके बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी कर ली है, आज हम बात एटा-कासगंज लोकसभा सीट (Lok Sabha Elections) की करने जा रहे है क्योकि इस सीट पर सपा ने देवेश काश्या को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएगे कि सपा के देवेश शाक्य को टक्कर देने के लिए बीजेपी की ओर से कौन संभावित प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे जा रहा है।

Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

Lok Sabha Elections को लेकर सियासत हुई तेज

लेकिन उससे पहले हम आपको इस सीट का राजनीतिक समीकरण क्या कहता हैं. वो बताते है। बता दे कि कासगंज का गठन 17 अप्रैल 2008 को एटा जिले के कासगंज, पटियाली और सहावर तहसील को प्रथक करके किया गया था। शुरू में, जिले का नाम एक राजनीतिज्ञ के नाम पर था, कांशी राम जिले में पैदा हुए संत तुलसीदास और अमीर खुसरो जिले की पटियाली तहसील से संबंधित हैं। जिले के लोकप्रिय क्षेत्र में सोरों, पटियाली, नदरई आदि शामिल हैं। इस शहर को काली नदी के आकार में एक प्रमुख भौगोलिक विशेषता मिली है।

Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

नदी दून घाटी से निकलती है और गाजियाबाद में हिन्डन नदी के साथ विलय करती है। इस शहर में मंदिर और अन्य पवित्र स्थान हैं। बता दे कि इस सीट पर 1952 में हुआ पहला संसदीय चुनाव कांग्रेस ने जीता था। 1957 और 1962 में हिन्दू महासभा के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 1967 और 1971 के आम चुनाव (Lok Sabha Elections) में कांग्रेस की जोरदार वापसी हुई। 1977 में चौधरी चरण सिंह की भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की। कांग्रेस उम्मीदवार ने 1980 में एक बार फिर इस सीट से जीत दर्ज की।

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1984 में भारतीय लोकदल, 1989, 1991, 1996 और 1998 में भाजपा के उम्मीदवार महकदीप सिंह शाक्य ने जीत दर्ज की।1999 और 2004 में लगातार दो बार देवेन्द्र सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से जीत हासिल की। 2009 के आम चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण ने बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और यहां से जीत हासिल की। 2014 में उनके बेटे राजवीर सिंह बीजेपी के ही टिकट पर मैदान में उतरे और वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की। 2019 में भी सपा के उम्मीदवार देवेंद्र सिंह यादव को हरा कर राजवीर सिंह ने जीत हासिल की।

Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

अब वर्तमान में बीजेपी के राजवीर सिंह यहा से सासंद है। बता दे कि कासगंज जिले में विधानसभा की पांच सीटें आती है जिसमें तीन कासगंज की और दो एटा जनपद की आती है, जिसमें कासंगज विधानसभा, अमांपुर, पटियाली विधानसभा शामिल हैं। और एटा की लोधी विधानसभा और मारहरा विधानसभा भी इसमें शामिल है, यहाँ अनुमानित जातीय समीकरण की बात करें तो, कासगंज क्षेत्र में लोध, यादव, और शाक्य जाति के मतदाता बडी सख्या में है।  ये तो हुई कासगंज लोकसभा सीट (Lok Sabha Elections) के राजनीतिक समीकरण की बात।

Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

अब एक नजर इस सीट पर 2024 में होने वाले संभावित प्रत्याशियों की करते हैं। बता दे कि एटा- कासगंज लोकसभा सीट (Lok Sabha Elections) पर सपा ने तो पहले ही देवेश काश्या को मैदान में उतार कर अपने पत्ते खोल दिए है ,लेकिन भाजपा अब सपा के इस प्रत्याशी की काट खोजने के लिए रणनीति तैयार कर रही है, बतास दे कि बीजेपी की ओर से तीन नाम सामने आए है, जिसमें पहला नाम राजवीर सिंह का है जो इस समय यहां से सांसद है, दूसरा नाम ममतेश शाक्य और तीसरा नाम अनीता लोधी का चर्चाओं में है।

Lok Sabha Elections में एटा-कासगंज सीट पर सपा के देवेश शाक्य को BJP से ये देगें टक्कर ?

ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी मौजूदा सांसद पर एक बार दावं खेल सकती है, हालांकि ये देखना अभी दिलचप्स होगा कि बीजेपी सासंद राजवीर सिह का टिकट काटकर पार्टी किसी ओर को मौका देती है या फिर एटा-कासगंज सीट पर इस बार टक्कर बीजेपी के राजवीर सिहं और सपा के देवेश काश्य के बीच ही देखने को मिलेगी, लेकिन इन सबके बीच बीएसपी सुप्रीम मायावती किस प्रत्याशी पर दांव खेलती है, यह देखना भी बडा दिलचप्स होगा ।

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