ब्यूरो रिपोर्टः एक तरफ तमाम राजनीति दल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में हैं, दूसरी तरफ अखिलेश यादव -राहुल गांधी जैसे कई बड़े नेताओं के पास एप्पल से एक नोटिस मिलने से राजनीती हलचल तेज हो गई, राहुल गांधी ने दिल्ली में मोदी सरकार पर सवाल उठाए वही लखनऊ में अखिलेश यादव ने प्रेसकॉन्फ्रेंस पर सरकार से पूछा हैं की आखिर जासूसी कराने के पीछे का मकसद क्या हैं. दरअसल जासूसी कांड का ये नया मुद्दा उस वक्त चर्चाओं में आ गया जब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से लेकर राहुल गाँधी ने विपक्ष के कई बड़े नेताओ ने मंगलवार को केंद्र की बीजेपी सरकार पर बड़ा आरोप लगा दिया. अखिलेश ने कहा कि उनके फोन की जासूसी की जा रही है।
जिसको लेकर उन्हें एक ऑफिसियल मेल आया है, जिसमें फोन की जासूसी करने की बात कही गई है. साथ ही अलर्ट रहने को कहा गया है. अखिलेश ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह इंटरनल सिक्योरिटी का मामला नहीं है ? विपक्षी नेताओ का कहना है की उनके एप्पल के फ़ोन में घुसपैठ की जा रही है. एप्पल कंपनी ने कहा है कि वो अलर्ट पर रहे. जिसका सीधा आरोप अखिलेश यादव ने सरकार पर लगाया हैं। अखिलेश यादव ने ये भी कहाँ की जिन्होंने जासूसी की है वो पहले भी सरकार में नहीं रहे, वो ये भी जाने वाले हैं।
आपको बता दे वैसे तो इंडियन टेलिग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन 5(2) के तहत केंद्र या राज्य सरकार के पास फोन टैपिंग करने का अधिकार है। अगर सरकार या कानूनी एजेंसियों को किसी व्यक्ति पर गैरकानूनी या देश विरोधी काम में लिप्त होने का खतरा होता है तो उसकी फोन टैपिंग किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सरकार राज्य जनहित में किसी की भी बातचीत को उसे बिना बताए रिकॉर्ड कर सकती है। हालांकि, सामान्य परिस्थिति में किसी की भी बातचीत को उसकी बिना इजाजत के आर्टिकल 21 के तहत रिकार्ड करना गैरकानूनी है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार आर्टिकल 21 के तहत जीवन का मूलभूत अधिकार दिया गया है। और निजता का अधिकार उसका अखंड हिस्सा है।
इसलिए भारत में जासूसी करते पाया जाना अपराध की श्रेणी में आता हैं। आपको ये भी बता दे कि कई विपक्षी नेताओं ने अपने फ़ोन के हैकिंग का दावा किया है. विपक्षी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए यह बड़ा दावा किया है. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता शशि थरूर, पवन खेड़ा, शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने भी दावा किया है कि उनके फोन को हैक करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि खुद ऐप्पल कंपनी ने मैसेज भेजकर हैकिंग की कोशिश की जानकारी दी है. ऐसे में सवाल यही हैं की आखिर विपक्षी पार्टियों के राजनीतिक दलों के नेताओं के फोन टेपिंग के पीछे किसकी साजिश हैं। 24 से पहले जासूसी के इस मुद्दे पर क्या मोदी सरकार आने वाले दिनों में विपक्ष के निशाने पर आ सकती हैं।