Baba Ramdev ने अपने शरबत बयान में धार्मिक रंग क्यों डाला? मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा का कड़ा विरोध!
शमीम अहमद (संवाददाता): सहारनपुर के प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने योग गुरु Baba Ramdev के उस बयान की सख्त आलोचना की है, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए हमदर्द कंपनी की मशहूर ड्रिंक रूह अफ़ज़ा को निशाना बनाया था। बाबा रामदेव ने अपने एक शरबत का प्रचार करते हुए इसे मज़हबी रंग देते हुए कहा था कि “जैसे लव जिहाद, लैंड जिहाद और वोट जिहाद होते हैं, उसी तरह अब शरबत जिहाद भी चल रहा है।”
Baba Ramdev का शरबत जिहाद बयान: समाज में विवाद और नफ़रत फैलाने वाला
Baba Ramdev का यह बयान विवादों का कारण बना है, क्योंकि उन्होंने अपनी ड्रिंक का प्रचार करते हुए शरबत को एक धार्मिक मुद्दे के तौर पर पेश किया। उनका कहना था कि “अगर आप दूसरी कंपनी का शरबत पीते हैं, तो उससे मस्जिदें और मदरसों का निर्माण होता है।” इस बयान के बाद कई लोगों ने इसे नफरत फैलाने वाला और साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से देखा।
मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा की प्रतिक्रिया
मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने इस बयान की सख्त निंदा करते हुए इसे “ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और बेहूदा” बताया। उन्होंने कहा कि ” Baba Ramdev को अब तक एक योगगुरु और बुद्धिजीवी माना जाता था, लेकिन उनका यह बयान साबित करता है कि वह अब केवल एक कारोबारी बन गए हैं जो अपने व्यापार को मज़हब के सहारे बढ़ाना चाहते हैं।”

शरबत जिहाद: क्या था बाबा रामदेव का असल इरादा?
Baba Ramdev ने अपने बयान में शरबत जिहाद शब्द का उपयोग करते हुए यह संकेत दिया कि यह व्यापार एक धार्मिक रंग ले चुका है। हालांकि, उन्होंने कंपनी का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, फिर भी इस बयान को समाज के कुछ हिस्सों द्वारा धार्मिक दृष्टिकोण से देखा गया। बाबा रामदेव का यह बयान केवल उनके शरबत के व्यापार को बढ़ावा देने की रणनीति हो सकती है, जो समाज में और अधिक विवाद उत्पन्न कर सकता है।
समाज में इस बयान का क्या असर पड़ा?
इस बयान के बाद समाज में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने इसे नफ़रत फैलाने वाला बयान बताया, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों में असहमति और खटास उत्पन्न हो सकती है। यह बयान न केवल एक धार्मिक मुद्दा बना, बल्कि यह व्यापार और धर्म के मिलेजुले रूप को भी उजागर करता है।
Baba Ramdev का शरबत जिहाद पर दिया गया बयान न केवल एक व्यापारिक रणनीति के रूप में देखा गया, बल्कि इसे समाज में नफरत और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला भी माना गया। मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने इस बयान को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और बेहूदा करार देते हुए इसे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असहमति उत्पन्न करने वाला बताया। उनका कहना था कि Baba Ramdev का यह बयान साबित करता है कि वह अब एक व्यवसायी बन चुके हैं, जो अपने व्यापार को धर्म के नाम पर बढ़ावा देना चाहते हैं।
इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि धर्म और व्यापार के बीच की सीमा को समझना और उसका सम्मान करना बहुत आवश्यक है। जहां एक ओर Baba Ramdev के बयान ने कई सवाल उठाए, वहीं मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा की प्रतिक्रिया ने यह सिद्ध कर दिया कि इस तरह के बयान समाज में शांति और एकता को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
समाज में बढ़ते हुए इस तरह के विवादों को कम करने के लिए यह जरूरी है कि हम सभी एक-दूसरे के विचारों और विश्वासों का सम्मान करें और नफरत फैलाने वाली विचारधाराओं से बचें।