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शामली में Rakesh Tikait ने कसा जयंत चौधरी पर तंज, किसानों की लड़ाई जारी रखने की चेतावनी।

Rakesh Tikait

शामली (दीपक राठी): उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) टिकैत (Rakesh Tikait) के नेतृत्व में किसानों ने दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर हाईवे पर एक लंबे समय से चल रहे आंदोलन के तहत पैदल मार्च निकाला। यह मार्च भाजू कट से लेकर शामली कलेक्ट्रेट तक किया गया, जिसमें बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और गौरव टिकैत के साथ हजारों किसान शामिल हुए। राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)ने इस मौके पर आंदोलन की वजह को स्पष्ट करते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा और विपक्षी नेताओं पर भी कटाक्ष किया।

6 महीने से चल रहा आंदोलन

दरअसल, भारतीय किसान यूनियन टिकैत के बैनर तले किसान पिछले 6 महीनों से दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर पर भज्जू गांव के पास एक कट की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह कट उनकी आवाजाही के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से जनपद शामली और मुजफ्फरनगर के 50 से अधिक गांव जुड़े हुए हैं। किसानों का यह आरोप है कि प्रशासन ने उनकी इस जायज मांग को नजरअंदाज कर दिया है, जिस कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

शामली में Rakesh Tikait ने कसा जयंत चौधरी पर तंज, किसानों की लड़ाई जारी रखने की चेतावनी।

आज के इस पैदल मार्च के दौरान राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने किसानों से संवाद करते हुए कहा कि उनका यह आंदोलन जारी रहेगा, जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार या प्रशासन अगर चाहें तो किसानों को जबरदस्ती जुल्म और ज्यादती करके हटा सकते हैं, लेकिन आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांग पूरी नहीं की जाती।

Rakesh Tikait का जयंत चौधरी पर तंज

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने इस दौरान जयंत चौधरी का नाम लिए बिना उन पर तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा, “जब नेता सत्ता में होते हैं तो किसानों के हितों की लड़ाई नहीं लड़ते, लेकिन जब वे विपक्ष में होते हैं तो बड़े-बड़े आंदोलन करते हैं।”

इस बयान से उनका इशारा स्पष्ट था कि सत्ता में आते ही कुछ नेता किसानों के मुद्दों से मुंह मोड़ लेते हैं, जबकि विपक्ष में रहते हुए यह मुद्दे उनके लिए प्रमुख हो जाते हैं। टिकैत का यह बयान दरअसल किसान आंदोलन के दौरान नेताओं की भूमिका पर सवाल खड़ा करता है, खासकर उन नेताओं के बारे में जो किसानों के आंदोलनों का समर्थन करते रहे हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद अपनी प्राथमिकताओं को बदल लेते हैं।

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गन्ना मूल्य और अन्य मुद्दे

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने आगे कहा कि वर्तमान में गन्ना मूल्य में वृद्धि नहीं की गई है, जिससे गन्ना किसान सरकार से नाखुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने किसानों के साथ अन्याय किया है, और किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। टिकैत ने स्पष्ट किया कि जब तक दिल्ली-देहरादून इकोनामी हाईवे पर किसानों को कट नहीं मिलेगा, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

इसके अलावा, टिकैत (Rakesh Tikait) ने किसानों को चेतावनी दी कि आगामी दिनों में किसानों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे और बिजली निजी क्षेत्र में जाएगी। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन के कारण किसानों को भारी बिजली बिल का सामना करना पड़ेगा, और यदि वे बिल नहीं चुका पाए तो उनकी ज़मीन तक नीलाम की जा सकती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर आगरा और नोएडा का नाम लिया, जहां बिजली निजी कंपनियों द्वारा दी जा रही है और किसानों पर लाखों रुपए का बकाया हो चुका है।

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कर्ज माफी योजना

इसके साथ ही राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने किसानों को सरकार की कर्ज माफी योजना के बारे में भी बताया। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे जागरूक होकर बैंकों में जाएं और अपने कर्ज के बारे में जानकारी प्राप्त करें। उन्होंने बताया कि जो किसान 2020 से पहले एनपीए हो गए हैं, उन्हें उनके मूलधन का 25% ही जमा करना है, जबकि बाकी ब्याज सरकार माफ कर रही है। इस योजना के बारे में बैंक अधिकारियों द्वारा उचित प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है, जिसे लेकर टिकैत ने अपनी चिंता जताई।

झड़प और गौरव टिकैत का हस्तक्षेप

पैदल मार्च के दौरान कुछ आंदोलनकारियों के बीच तीखी झड़प भी देखने को मिली, लेकिन गौरव टिकैत ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए स्थिति को शांत किया और किसानों से संयम बनाए रखने की अपील की। गौरव ने कहा कि इस आंदोलन का उद्देश्य किसानों के अधिकारों की रक्षा करना है, और इस संघर्ष में एकता और शांति बनाए रखना आवश्यक है।

शामली में Rakesh Tikait ने कसा जयंत चौधरी पर तंज, किसानों की लड़ाई जारी रखने की चेतावनी।

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राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का यह बयान और पैदल मार्च यह दर्शाता है कि भारतीय किसान यूनियन टिकैत के नेतृत्व में किसान अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से संकल्पित हैं। चाहे सत्ता में कोई भी हो, किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उनका आंदोलन न केवल एक स्थानीय मुद्दा है, बल्कि यह देशभर के किसानों की सामूहिक आवाज का प्रतीक बन चुका है। जब तक सरकार किसानों के मुद्दों को गंभीरता से नहीं उठाती, तब तक इस आंदोलन की गति कम नहीं होने वाली।

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