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Sambhal में ‘विवादित ढांचा’ पर तूल पकड़ता विवाद, हिंदू पक्ष की बढ़ी सक्रियता।

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संभल (महबूब अली): उत्तर प्रदेश के संभल(Sambhal) जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर हाल ही में एक नया मोड़ आया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ के रूप में संदर्भित करने का आदेश दिया है, जिससे स्थानीय हिंदू संगठनों में आक्रोश बढ़ गया है। इसी कड़ी में, नाथ संप्रदाय के महंत योगी दीना नाथ ने एसडीएम संभल को ज्ञापन देकर मस्जिद में नमाज पर रोक लगाने और हिंदू समाज को वहां पूजा करने की अनुमति देने की मांग की है।

Sambhal में 'विवादित ढांचा' पर तूल पकड़ता विवाद, हिंदू पक्ष की बढ़ी सक्रियता।

Sambhal में कोर्ट का आदेश और हिंदू पक्ष की प्रतिक्रिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को संभल(Sambhal) शाही जामा मस्जिद से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान, हिंदू पक्ष के अधिवक्ता की मांग पर कोर्ट ने मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ के रूप में संदर्भित करने का आदेश दिया। इसके बाद, हिंदू पक्ष के अधिवक्ता श्रीगोपाल शर्मा ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण ऐतिहासिक हरिहर मंदिर के ऊपर किया गया था, जिसे लेकर विवाद जारी है।(Sambhal)

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नाथ संप्रदाय के महंत की मांग

नाथ संप्रदाय के महंत योगी दीना नाथ ने इस विवादित ढांचे में नमाज की प्रक्रिया पर रोक लगाने और हिंदू समाज को वहां पूजा करने की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने इस ढांचे को विवादित बताया है, इसलिए वहां नमाज नहीं पढ़नी चाहिए और हिंदू समाज को पूजा का अधिकार मिलना चाहिए। साथ ही, उन्होंने इस प्रकरण की जल्द सुनवाई की भी मांग की है।(Sambhal)

साक्ष्य मिटाने के आरोप

महंत योगी दीना नाथ ने आरोप लगाया कि वहां के साक्ष्य को मिटाने के लिए रंगाई-पुताई की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि पहले यह मंदिर लाल रंग का था, जिसे अब हरे रंग में बदल दिया गया है, ताकि साक्ष्य नष्ट किए जा सकें।

स्थानीय मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया

इस बीच, स्थानीय मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने इस आदेश पर अपनी आपत्ति जताई है। मौलाना ने कहा कि कोर्ट के इस आदेश से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और इससे समाज में तनाव बढ़ सकता है। उन्होंने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है।

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आगे की कार्रवाई

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 मार्च तय की है। इससे पहले, एएसआई की रिपोर्ट पर मस्जिद कमेटी ने आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसे कोर्ट ने विचाराधीन रखा है। अब देखना होगा कि आगामी सुनवाई में कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और क्या स्थिति में कोई बदलाव आता है।(Sambhal)

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