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क्या 24 में जयंत चौधरी आजमाएंगे 15 साल पुराना फॉर्मूला?  

क्या 24 में जयंत चौधरी आजमाएंगे 15 साल पुराना फॉर्मूला?  

ब्यूरो रिपोर्टः रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने खोए हुए सियासी आधार को वापस पाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हैं. जयंत चौधरी विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के साथ खड़े हैं, उत्तर प्रदेश में आरएलडी 25 लोकसभा सीटों पर 2024 में चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रही है. सपा किसी भी सूरत में आरएलडी को इतनी सीटें देने के मूड में नहीं दिख रही है. ऐसे में जयंत चौधरी और उनकी पार्टी ने प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव चलना शुरू कर दिया है. जयंत चौधरी ने यूपी में 9 विधायकों को बनाकर अब 2024 में अपने सियासी आधार को बढ़ाना चाहते हैं।

इसीलिए आरएलडी ने 15 साल पुराने रिकार्ड के आधार पर अपना टारगेट सेट किया है. यह वही चुनाव था, जिसमें जयंत चौधरी की मथुरा लोकसभा सीट से सियासी लांचिंग हुई थी. 2009 में आरएलडी ने पांच सीटें जीती थी, जिनमें बागपत, मथुरा, बिजनौर, अमरोहा और हाथरस लोकसभा सीट शामिल थी. हालांकि, आरएलडी ने यह लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था. बीजेपी को पश्चिमी यूपी में कोई फायदा नहीं मिला सका था जबकि आरएलडी तीन सीटों से बढ़कर 5 पर पहुंच गई थी. बीजेपी पश्चिमी यूपी में सिर्फ मेरठ गाजियाबाद सीट ही जीत सकी थी।

क्या 24 में जयंत चौधरी आजमाएंगे 15 साल पुराना फॉर्मूला?  

आरएलडी एक बार फिर से 2009 वाले ही रिकॉर्ड हासिल करने की जुगत में है, जिसके चलते ही सारा सियासी तानाबाना बुन रही है. आरएलडी एक दर्जन सीट पर चुनाव लड़ने की कोशिश में है. आरएलडी ने पश्चिमी यूपी की मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, अमरोहा, बागपत, मथुरा, कैराना, मेरठ, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, हाथरस, बिजनौर और नगीना लोकसभा सीट पर 2024 में चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. इन एक दर्जन सीटों पर आरएलडी के कोर वोटबैंक जाट समुदाय की संख्या अच्छी खासी है और मुस्लिम मतदाता भी अहम भूमिका में है. इनमें से तीन लोकसभा सीटें विपक्षी दलों के पास है।

जहां से बसपा के सांसद हैं. 2024 में बसपा के ये सांसद चुनाव लड़ेंगे यह कहना मुश्किल है. ऐसे में जयंत चौधरी ने दलित नेता चंद्रशेखर के साथ मिलकर दलित-जाट कॉम्बिनेशन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यूपी में जयंत चौधरी INDIA का हिस्सा हैं, जिसमें सपा और कांग्रेस भी है. अखिलेश यादव यूपी में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसके चलते उनके लिहाज से ही सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय होगा. आरएलडी ने जिस तरह से सीटों की डिमांड रखी है, उसे लेकर अखिलेश यादव सहमत होंगे ये कहना मुश्किल है. सपा सूत्रों की मानें तो जयंत चौधरी के लिए महज 6 सीटें ही देने को तैयार है।

क्या 24 में जयंत चौधरी आजमाएंगे 15 साल पुराना फॉर्मूला?  

जबकि आरएलडी किसी भी सूरत में से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं. सपा पश्चिमी यूपी की पूरी सियासत को जयंत चौधरी के ऊपर नहीं छोड़ नहीं चाहती है, क्योंकि उन्हें पता है कि एक बार मुस्लिम वोट अगर उनकी पकड़ से निकलकर आरएलडी के साथ चला गया तो उसे दोबारा से वापस लाना आसान नहीं है. इसीलिए जयंत चौधरी को सपा उन्हीं सीटों को दे रही है, जो आरएलडी की परंपरागत सीट रही है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जयंत चौधरी लंबी सियासत करना चाहते हैं, जिसके लिए भविष्य के नजरिए से अपना राजनीतिक समीकरण बनाने में जुटे हैं।

सपा के साथ उन्होंने वक्ती तौर के लिए गठबंधन कर रखा है ताकि मुस्लिम वोटों को विश्वास हासिल कर सकें. इसके अलावा जयंत चौधरी दलित और गुर्जर वोटों को अपने साथ जोड़ने के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं. दलित समुदाय वोटों के लिए आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ हाथ मिला रखा है तो गुर्जर वोटों के लिए अपनी पार्टी के सजातीय नेताओं को आगे बढ़ा रहे हैं. बिजनौर से आरएलडी के सांसद रहे संजय चौहान के बेटे चंदन चौहान को गुर्जर नेता के तौर पर स्थापित कर रहे हैं. जयंत चौधरी अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण के सियासी नक्शेकदम पर चल रहे हैं ।

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और उसी तरह से राजनीतिक समीकरण भी बिछा रहे हैं. ऐसे में उन्होंने जिस तरह से लोकसभा सीटों का चयन 2024 के चुनाव में लड़ने का किया है, उसे देखें तो अमरोहा, बिजनौर, बागपत सीट पर उनका कब्जा रहा है. मेरठ सीट पर आरएलडी हमेंशा से दावा करती रही है. कैराना सीट पर भी आरएलडी अपना कब्जा जमा चुकी है. 2024 में जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी की नगीना सीट से चंद्रशेखर आजाद को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रखी है तो बिजनौर और अमरोहा सीट पर गुर्जर समुदाय के कैंडिडेट उतारने की रणनीति है. मेरठ से किसी मुस्लिम पर दांव खेलने की कोशिश जयंत की है।

सपा जयंत की इस गणित को समझ रही है, जिसके चलते उन्हें सियासी स्पेस बहुत नहीं देना चाहती है. ऐसे में अब प्रेशर पालिटिक्स का दांव चला जाना लगा है?

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