ब्यूरो रिपोर्ट… दिल्ली में भाजपा ने रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) को मुख्यमंत्री बनाकर पूरे देश में संदेश दिया है। इस फैसले के पीछे पार्टी की कई रणनीतियां हैं। एक तरफ जहां जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश है वहीं दूसरी तरफ नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को भी खत्म किया गया है। रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) के रूप में भाजपा ने एक ऐसे चेहरे को आगे बढ़ाया है जो महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी है।
भाजपा ने दिल्ली का चुनाव परिणाम आने के 10 दिनों के बाद जिस तरह एक महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) को कमान देने का निर्णय लिया, उसने यह संकेत दे दिया है कि पार्टी इस ऐतिहासिक जीत को अभी से ठोस आधार देने में जुट गई है। जोश को ठंडा होने का पूरा वक्त दिया गया और फिर जाट, पंजाबी, वैश्य, पूर्वांचली के जाल को काटते हुए महिला को आगे कर पूरे देश को संदेश दिया गया।
Rekha Gupta के CM बनने के पीछे एक नहीं कई वजह,
एक तरीके से पार्टी के अंदर भी नेताओं की प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दिया गया। पिछले कुछ दिनों से जितनी चर्चा संभावित मुख्यमंत्री को लेकर हो रही थी, उतनी ही बहस इस बात पर भी थी की आखिर इतनी देर क्यों? क्या पेच है? हालांकि, दिल्ली के प्रभारी बैजयंत जय पांडा चुनाव परिणाम आने के साथ ही कह चुके थे कि 10 दिनों में नया मुख्यमंत्री मिलेगा।
13 फरवरी की रात तक विदेश में थे पीएम मोदी
सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 फरवरी की रात तक विदेश में थे। लेकिन उसके बाद पांच दिनों की देर क्यों, यह सवाल था। आठ फरवरी को फैसला आया था और 10 दिन बाद 19 फरवरी को मुख्यमंत्री का फैसला हो गया। वस्तुतः 27 साल बाद दिल्ली में जो जीत मिली, उसके बाद पार्टी के कई नेताओं में एक अभिमान भी था। जीत का सेहरा बांधने और दावेदारी की होड़ भी शुरू हो गई थी।