कुशीनगर (आसिफ संवाददाता) : उत्तर प्रदेश के कुशीनगर (Kushinagar) जिले के हाटा नगर में स्थित मदनी मस्जिद पर प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की है। प्रशासन का कहना है कि मस्जिद के कुछ हिस्से अवैध रूप से सरकारी भूमि पर बनाए गए थे और इन्हें हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई थी। इस कार्रवाई के बाद इलाके में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, और कई विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई को अन्याय करार दिया है।
प्रशासन की कार्रवाई और कारण
प्रशासन के मुताबिक, मस्जिद का कुछ हिस्सा स्वीकृत नक्शे से अधिक बनाया गया था और नगरपालिका की 23 डिस्मिल जमीन पर अतिक्रमण किया गया था। 18 दिसंबर 2024 से इस मामले की जांच की जा रही थी, और मस्जिद के पक्षकारों को तीन बार नोटिस जारी किए गए थे। अधिकारियों का दावा है कि संतोषजनक जवाब न मिलने के कारण यह कार्रवाई करनी पड़ी। Kushinagar
बुलडोजर कार्रवाई के दौरान छह बुलडोजर और भारी पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। अवैध निर्माण को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
Kushinagar: राजनीतिक हलचल और विरोध
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार और प्रशासन पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के नेतृत्व में 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज कुशीनगर का दौरा करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल पूरी घटना की जांच करेगा और अपनी रिपोर्ट सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सौंपेगा। Kushinagar
सपा के पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने भी मौके पर पहुंचकर प्रशासन की इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताया और सरकार पर विशेष समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया। वहीं, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मदनी मस्जिद का दौरा कर प्रशासन की कार्रवाई को तानाशाही करार दिया और कहा कि यह सरकार की भेदभावपूर्ण नीति को दर्शाता है।
मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया
हालांकि, इस पूरी कार्रवाई के बावजूद मुस्लिम समुदाय ने शांति और धैर्य बनाए रखा। मस्जिद के पक्षकारों का कहना है कि वे कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।
क्या है प्रशासन का पक्ष?
Kushinagar प्रशासन का कहना है कि मदनी मस्जिद की पूरी भूमि अधिकृत नहीं थी। मस्जिद के पक्षकारों के पास केवल 15 डिस्मिल जमीन के कागजात हैं, जबकि बाकी 23 डिस्मिल जमीन नगर पालिका की संपत्ति थी, जिस पर बिना स्वीकृत नक्शे के निर्माण किया गया था। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में रहकर की गई है और इसे धार्मिक रंग देना गलत होगा। Kushinagar
मामले पर आगे की रणनीति
यह मामला अब राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर चर्चा में आ गया है। विपक्षी दल इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगे हैं, वहीं प्रशासन का कहना है कि कानून के तहत ही कार्रवाई की गई है। देखना होगा कि क्या इस मामले में कोई नई कानूनी कार्रवाई होती है या विपक्षी दलों का विरोध सरकार को कोई कदम उठाने पर मजबूर करता है।