ब्यूरो रिपोर्ट… आपने अक्सर देखा होगा कि जब आपको किसी चीज से बहुत जोर से चोट लग जाती है, लेकिन खून नहीं आता तो वह स्थान नीला पड़ जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि चोट लगने पर नीले धब्बे (Blue Skin) तब बनते हैं, जब रक्त वाहिकाएं टूट जाती हैं और खून त्वचा के नीचे जमा हो जाता है।
यह खून पहले नीले रंग में दिखाई देता है, फिर धीरे-धीरे हरा, पीला और भूरे रंग में बदलता है। हालांकि कई बार आप शरीर पर बिना किसी वजह के नीले धब्बे (Blue Skin) देख सकते हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज भी कर दिया जाता है। ये नीले धब्बे आमतौर पर चोट, खींचने या दबाव के कारण होते हैं, लेकिन कभी-कभी ये बिना किसी स्पष्ट कारण के भी उत्पन्न हो सकते हैं। तो क्या ये नीले धब्बे सामान्य होते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है, आइए जानते हैं।
क्या है स्किन पर पड़ने वाले नीले धब्बे
यह शरीर के नीचे की रक्त वाहिकाओं के फटने के कारण बनते हैं। जब किसी कारणवश रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं तो खून त्वचा के नीचे जमा हो जाता है, जिससे नीले, हरे या पीले रंग के निशान बन जाते हैं। इस प्रक्रिया को ‘ब्रूइजिंग’ कहा जाता है। शुरुआती चरण में यह धब्बे नीले रंग के होते हैं और फिर समय के साथ इनका रंग हरा, पीला और अंत में भूरे रंग में बदल जाता है, जब शरीर धीरे-धीरे खून को पुनः अवशोषित कर लेता है।
नीले धब्बों Blue Skin के बनने के कारण?
1. चोट या दबाव: सबसे आम कारण चोट लगना या किसी वस्तु से टकराना होता है। इससे रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं और नीले धब्बे (Blue Skin) बन जाते हैं।
कमजोर रक्त वाहिकाएं: उम्र बढ़ने के साथ रक्त वाहिकाएं कमजोर हो सकती हैं, जिससे बिना किसी खास वजह के भी नीले धब्बे बन (Blue Skin) सकते हैं।
3. कुपोषण: विटामिन सी, के और प्रोटीन की कमी से रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे आसानी से नीले धब्बे बन सकते हैं।
4. मेडिकल कंडीशन: कुछ मेडिकल समस्याएं, जैसे प्लेटलेट्स की कमी लिवर की समस्या या रक्त संबंधित विकार भी नीले धब्बों का कारण बन सकते हैं।
बचाव कैसे करें?
सबसे पहले आप रोजमर्रा की गतिविधियों में सतर्क रहें और चोटों से बचने के लिए उचित सुरक्षा उपायों का पालन करें। संतुलित आहार का सेवन करें। विटामिन सी, के और प्रोटीन से भरपूर आहार लें, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, नट्स और दालें। ये रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। साथ ही त्वचा की देखभाल और हाइड्रेशन से रक्त वाहिकाएं कम प्रभावित होती हैं और चोट लगने की संभावना कम होती है। वहीं अगर चोट के कारण ब्रुइज हो, तो तुरंत बर्फ से सिकाई करें। इससे सूजन कम होती है और खून के जमा होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।