पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचाने वाली खबर सामने आई है। रालोद के बड़े नेता और पूर्व सांसद आमिर आलम (Amir Alam Khan) और उनके पुत्र, पूर्व विधायक नवाजिश आलम, ने रालोद छोड़कर चंद्रशेखर आजाद की पार्टी में शामिल होने का फैसला कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार, दोनों नेता 2 फरवरी को अपने गढ़ीपुख्ता स्थित आवास पर चंद्रशेखर की उपस्थिति में आज़ाद समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। यह घटनाक्रम रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।
रालोद से नाराजगी की वजह (Amir Alam Khan)
2024 मीरापुर उपचुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर आमिर आलम (Amir Alam Khan) और उनके पुत्र नवाजिश आलम की जयंत चौधरी से नाराजगी की खबरें सामने आई थीं। मीरापुर सीट से चुनाव लड़ने की संभावना के बावजूद, पार्टी ने स्पष्ट निर्णय नहीं लिया, जिससे पिता-पुत्र दोनों असंतुष्ट हो गए।
2024 लोकसभा चुनाव में नवाजिश आलम ने कैराना सीट से चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, लेकिन सीट नहीं मिलने के कारण परिवार में और निराशा बढ़ गई। इसके बाद रालोद में रहते हुए भी आमिर आलम ने खुद को पार्टी गतिविधियों से दूर रखा, जिससे उनकी नाराजगी साफ झलकने लगी थी।
पश्चिम यूपी में असर
आमिर आलम (Amir Alam Khan) और नवाजिश आलम का रालोद से अलग होना, खासतौर पर जयंत चौधरी की हिंदू-मुस्लिम एकता की राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। शामली और मुजफ्फरनगर जिलों की कई विधानसभा सीटों पर आमिर आलम का मजबूत प्रभाव है। इस कदम से रालोद को आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है।
चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आज़ाद समाज पार्टी में आलम परिवार का शामिल होना, पश्चिम यूपी की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। आमिर आलम और नवाजिश आलम Amir Alam Khan का यह फैसला, 2027 के चुनावों से पहले रालोद के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जयंत चौधरी इस झटके से उभरने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं।