ब्यूरो रिपोर्ट… महाकुंभ (Mahakumbh) 2025 के दौरान पहले अमृत स्नान पर एक नई विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पेशवाई के रथ पर बैठने और अपनी खूबसूरती को लेकर चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया अब अखाड़ा परिषद के महंत रविंद्र पुरी के संरक्षण में हैं। वहीं, स्वामी आनंद स्वरूप ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि हर्षा को साधु वेश में महाकुंभ (Mahakumbh) में स्नान नहीं करने दिया जाएगा, चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
स्वामी आनंद स्वरूप की आपत्ति
भारत समाचार से बात करते हुए स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, “हर्षा रिछारिया का अपना ग्लैमरस जीवन है और हमें उससे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, वह साधुओं के वस्त्र धारण कर हमारी परंपराओं का अपमान न करे। हमारा उससे बस यही आग्रह है। हमें हर्षा से समस्या नहीं है, लेकिन कैलाशानंद से समस्या है, क्योंकि अगर वह प्रश्रय नहीं देते तो हर्षा की यह हिम्मत नहीं होती।”
अमृत स्नान पर विवाद
स्वामी आनंद स्वरूप ने आगे कहा, “हर्षा के पहले महाकुंभ (Mahakumbh) से चले जाने के बाद उसे फिर से बुलाया गया। इस बार उसे रविंद्र पुरी ने बुलाया और कहा कि देखते हैं कौन क्या कर सकता है। हमारा सवाल यह है कि अखाड़ा परिषद एक स्त्री के पीछे क्यों परेशान है? उन्हें अपने चरित्र और अखाड़ों की मर्यादा की चिंता करनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि साधु वेश में हर्षा को अमृत स्नान नहीं करने दिया जाएगा, चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
हर्षा का जवाब
हर्षा रिछारिया ने महंत रविंद्र पुरी को पिता समान बताया और कहा कि वह फिर से शाही रथ पर बैठकर अमृत स्नान करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ में आने का उनका उद्देश्य आध्यात्मिक अनुभव लेना है।
विवाद की जड़
स्वामी आनंद स्वरूप का कहना है कि “यह लड़की केवल स्वांग रचने, रील बनाने और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए महाकुंभ का उपयोग कर रही है। यहां कई साध्वियां हैं, जो प्रवचन कर रही हैं और कुंभ से सीख रही हैं, लेकिन हर्षा का उद्देश्य अलग प्रतीत होता है।”
महाकुंभ (Mahakumbh) 2025 का यह विवाद अखाड़ा परिषद और साधु-संतों की परंपराओं के प्रति लोगों के विश्वास पर प्रश्न खड़े करता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में यह विवाद कैसे सुलझता है और महाकुंभ के आयोजन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।