ब्यूरो रिपोर्टः सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में नशीली दवाओं के सेवन को लेकर एक अहम टिप्पणी की और युवाओं को चेतावनी दी कि “ड्रग्स लेना बिल्कुल भी ‘कूल’ नहीं है।” अदालत ने नशे के सेवन को लेकर समाज में बन रहे गलत संदेश और इसके महिमामंडन को गंभीरता से लिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि नशे की प्रवृत्ति को किसी भी रूप में प्रोत्साहित करने या उसे ‘स्टाइलिश’ या ‘कूल’ बताने की कोई आवश्यकता नहीं है।
Supreme Court ने युवाओं को किया सावधान
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विशेष रूप से युवा वर्ग से अपील की कि वे नशीली दवाओं से दूर रहें और इसके सेवन को किसी भी रूप में सकारात्मक रूप से न देखें। कोर्ट ने यह भी कहा कि नशे का सेवन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि मानसिक स्थिति और सामाजिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की अदालत ने यह निर्देश दिया कि समाज में नशे की आदत को बढ़ावा देने वाले फिल्मों, गानों, विज्ञापनों या अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कड़ी नजर रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस विषय पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग इसके खतरों को समझ सकें और नशे की लत से बच सकें।
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का यह बयान एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि नशे का सेवन किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसे “कूल” या “स्टाइलिश” मानना एक गलत अवधारणा है। युवा वर्ग को इसके खतरों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और समाज को इस पर मिलकर काम करना होगा। इसके लिए सख्त कानून, प्रभावी जागरूकता अभियान और समाज की सहयोगी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।