ब्यूरो रिपोर्टः पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में अपनी सियासी ताकत बढ़ाने की योजना के तहत राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में अपनी पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए गुर्जर समुदाय को अहमियत दी है और इस समुदाय के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक दिग्गज नेता को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
Western Uttar Pradesh पर रालोद की निगाहें
जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में रालोद की स्थिति को मजबूत करने के लिए गुर्जर समुदाय के नेताओं को पार्टी में शामिल करने का प्रयास तेज किया है। इस कड़ी में रालोद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जाने-माने गुर्जर नेता को पार्टी की गतिविधियों को दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी है। यह कदम रालोद के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि पश्चिमी यूपी में गुर्जर समुदाय का काफी प्रभाव है और इस समुदाय को साथ लाने से पार्टी को चुनावी लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
रालोद के पंचायती राज प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष पद पर बागपत के निबाली निवासी पूर्व जिलाध्यक्ष रामपाल धामा नियुक्त की गई है। उनकी नियुक्ति रालोद प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने की है। बता दे कि रामपाल धामा रालोद के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। लोकसभा के चुनाव बाद उन्हें जिलाध्यक्ष पद से हटाए थे लेकिन अब प्रदेश स्तर पर पद मिलने से उनके समर्थकों में खुशी है। उनकी नियुक्ति रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के निर्देश पर हुई।
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दरअसल भाजपा से गठबंधन बाद रालोद से छिटके मुस्लिम वोट की भरपाई को पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में जाट-गुर्जर समीकरण बनाकर विधानसभा चुनाव 2027 की जमीन पुख्ता करना चाहता है। दरअसल जयंत चौधरी का यह कदम पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव साबित हो सकता है, जो भाजपा और समाजवादी पार्टी जैसी प्रमुख पार्टियों के लिए चुनौती बन सकता है।