ब्यूरो रिपोर्टः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर में नाला निर्माण में अतिक्रमण की जद में आय़ी कस्बा के सदर बाजार स्थित नूरी जामा मस्जिद के पीछे का हिस्सा एडीएम अविनाश त्रिपाठी व एएसपी विजयशंकर मिश्र की मौजूदगी में मंगलवार सुबह तोड़ दिया गया। इस बीच पीएसी समेत भारी पुलिस बल मुस्तैद रहा। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नूरी जामा मस्जिद पर योगी सरकार का बुलडोजर चलाने की घटना एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन गई है।
Uttar Pradesh की नूरी मस्जिद ध्वस्त
हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर में नूरी जामा मस्जिद पर अवैध निर्माण के आरोप में प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की, जिसमें स्थानीय प्रशासन ने SDM की अगुवाई में मस्जिद पर चल रही अवैध संरचनाओं को तोड़ा। यह कार्रवाई योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाने के अभियान का हिस्सा हो सकती है। राजनीतिक विरोध भी देखने को मिला है। कुछ विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक खेल करार दिया है। वे इसे आगामी चुनावों के संदर्भ में धार्मिक असंतोष पैदा करने के एक तरीके के रूप में देख रहे हैं।
फतेहपुर के ललौली कस्बा के सदर बाजार में स्थित नूरी जामा मस्जिद अतिक्रमण की जद में आने पर मस्जिद कमेटी को पीडब्ल्यूडी विभाग ने नाला निर्माण के लिए सर्वे के दौरान बीते 24 सितंबर 2024 को नोटिस दी थी । जिस पर मस्जिद कमेटी ने अतिक्रमण हटाने के लिए एक माह का समय मांगा था। इस सर्वे में 133 मकान व दुकानें भी अतिक्रमण की जद में आई थी।
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नूरी जामा मस्जिद पर बुलडोजर चलाने की घटना ने राजनीतिक और धार्मिक विवादों को जन्म दिया है। इस कार्रवाई के पीछे अवैध निर्माण हटाने का उद्देश्य हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय और राजनीतिक दलों पर पड़ता है। जैसे-जैसे इस प्रकार की घटनाएँ बढ़ती हैं, यह सवाल उठता है कि क्या ऐसी कार्रवाई धार्मिक स्वतंत्रता और संविधानिक अधिकारों के तहत उचित है या नहीं।