ब्यूरो रिपोर्टः आज हम बात करेंगे योगासन (Yogasana) के बारे में, दरअसल स्टेमिना व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा की मात्रा को दर्शाने वाला शब्द है, जो व्यक्ति की लंबे समय तक कार्य करने की क्षमता के बारे में बताता है। कितनी लंबी दौड़, कितने लंबे समय तक व्यायाम और कितनी देर कामकाज करने में सामर्थ्य ही स्टेमिना है। कमजोर स्टेमिना के कारण जल्दी थकान, सांस लेने में कठिनाई, दैनिक गतिविधियों में कमी और ऊर्जा में कमी महसूस होती है।
Yogasana का अभ्यास करने से बढ़ेगा शरीर का स्टेमिना
बता दे कि नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, पर्याप्त नींद और स्ट्रेस को कम करके स्टेमिना बढ़ाया या मजबूत बनाया जा सकता है। यदि आप अपने स्टेमिना को बढ़ाना चाहते हैं तो जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव लाने की जरूरत है। स्टेमिना बढ़ाने के लिए कुछ असरदार योगासन (Yogasana) भी हैं, जिनके नियमित अभ्यास से शरीर की शक्ति मजबूत बनती है।
धनुरासन
आपको बता दे कि धनुरासन योगासन (Yogasana) का अभ्यास रक्त प्रवाह में सुधार करता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में सहायक है। धनुरासन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और कमर व छाती की तमाम समस्याओं से निजात दिलाने के साथ ही स्टेमिना को बेहतर बनाता है। दरअसल इस आसन को करने से लिए पेट के बल लेट कर दोनों पैरों को मोड़कर ऊपर की ओर ले जाएं। दोनों हाथों से पैरों के पंजों को पकड़कर सांस लेते हुए पैरों को ऊपर की ओर खींचें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।
उष्ट्रासन
दरअसल उष्ट्रासन के अभ्यास से शरीर में लचीलापन, थकान से राहत और आंखों की रोशनी बेहतर बनती है। कमर दर्द में भी आराम मिलता है। इस आसन को योग (Yogasana) विशेषज्ञ की निगरानी में करें। बता दे कि इस योगासन को करने के लिए घुटनों के बल बैठकर सांस लेते हुए रीढ़ के निचले हिस्से को आगे की तरफ दबाव डालें। दरअसल इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। पीठ के पीछे की तरफ मोड़ते हुए झुकें और गर्दन को ढीला छोड़ दें। इस स्थिति में 30 से 60 सेकंड तक बने रहें।
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गोमुखासन
बता दे कि गोमुखासन योगासन (Yogasana) रीढ़ और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव लाने में सहायक है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। इस आसन का अभ्यास खाने के बाद करने से पेट संबंधित परेशानियों का इलाज होता है। गोमुखासन के अभ्यास के लिए बाएं पैर को मोड़कर घुटने को बाएं कूल्हे के पास लाएं। उसके बाद अपने अब दाहिने पैर को बाएं पैर पर इस तरह रखें कि घुटने एक दूसरे को स्पर्श करें। हाथों को पीछे की ओर ले जाते हुए दाएं हाथ से बाएं हाथ को पकड़ें। रीढ़ को सीधा रखते हुए करीब 1 मिनट तक गहरी सांसें लें। धीरे धीरे पुरानी अवस्था में आ जाएं।